देहरादून। श्रीनगर जल विद्युत परियोजना से प्रभावित ग्रामीण अपनी 16 सूत्रीय मांगों को लेकर देहरादून के परेड ग्रांउड में बीते दो दिनों भूख हड़ताल पर बैठे हुए है। लेकिन कोई उनकी सुनने वाली नहीं है। ग्रामीणों का आरोप है कि परियोजना का निर्माण कर रही जीवीके कंपनी ने जमीन अधिग्रहण के नाम पर ग्रामीणों के साथ छलावा किया है।
वहीं बुधवार को ग्रामीणों से मिलने देवप्रयाग विधानसभा से बीजेपी विधायक विनोद कंडारी भी परेड ग्राउंड पहुंचे, जहां उन्होंने ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया है, लेकिन आंदोलनकारी ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े रहे है।
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार संरक्षण मंच के संयोजक दौलत कुंवर ने कहा कि ग्रामीणों की मांगों के प्रति सरकार और टिहरी की जिलाधिकारी का रवैया उदासीन रहा है। कुंवर के मु्ताबिक सुरासू, गुगली गावों के अनुसूचित काश्तकारों के साथ कंपनी प्रबंधन ने सादे कागजों पर समझौते किये गये और जब गरीब ग्रामीणों ने कंपनी से चेक लिए गये तो उनके हस्ताक्षर चेक प्राप्ति बताकर स्टाम्प पेपरों में करवा दिये गये, जो कि अनुसूचित जाति के लोगों के साथ धोखा व उत्पीड़न है।
वहीं उन्होंने बताया कि कंपनी प्रबंधन ने प्रभावित क्षेत्र के सभी ग्रामीण परिवारों को रोजगार मुहैया कराने की बात की थी, लेकिन कंपनी ने कई काश्तकारों को रोजगार तक उपलब्ध नहीं करवाया है।
दूसरी ओर आंदोलनकारियों से वार्ता करने पहुंचे देवप्रयाग विधायक विनोद कण्डारी को ग्रामीणों ने अपना 16 सूत्रीय मांग पत्र सोंपा। विधायक ने कहा कि श्रीनगर जल विद्युत परियोजना का स्वामित्व उत्तर प्रदेश के अधीन है। इसलिये ग्रामीणों की समस्याओं को लेकर वे दो बार उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर चुके हैं। उन्होंने भूख हड़ताल पर बैठे आंदोलनकारियों को आश्वासन दिया कि जल्द ही उनकी मांगों का निस्तारण किया जायेगा, जिसके लिये वे प्रयासरत है।