केंद्र की एनडीए सरकार के तीन साल पूरे होने को हैं। सत्ता में आने से पहले नरेंद्र मोदी ने देश की दशा और दिशा बदलने के लिए 60 दिन मांगे थे, और अब तीन साल बीत गए हैं। ऐसे में, उनके काम का आकलन स्वाभाविक है। भाजपा जब सत्ता में आई थी, तो ‘सबका साथ सबका विकास’ कहा गया और इसी नारे को आगे बढ़ाते हुए नोटबंदी, स्टार्टअप इंडिया, क्लीन इंडिया जैसी पहल शुरू की गई। हालांकि इन तमाम फैसलों पर अगर जनता की राय लें, तो सुखद तस्वीर सामने नहीं आती। नोटबंदी एक महत्वपूर्ण फैसला जरूर था, लेकिन इससे देश को कितना फायदा हुआ या कितना कालाधन वापस आया या कितने भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसी गई, यह अभी तक साफ नहीं हो सका है। इसी तरह, स्वच्छ भारत अभियान भी शहरों तक सिमटता जा रहा है। रही बात स्टार्टअप इंडिया की, तो इसकी शरुआत अच्छी थी, लेकिन इसका भी मनोनुकूल फायदा नहीं मिल सका है। मोदी सरकार ने वाकई कुछ चीजें अच्छी की हैं। नई सरकार में प्रशासनिक सक्रियता बढ़ी है। मगर तब भी भ्रष्टाचार, महंगाई जैसी समस्याएं बनी हुई हैं। सरकार के पास अब भी दो साल का वक्त बाकी है। वह चाहे, तो तस्वीर बदल सकती है।
