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रायबरेली में फैक्ट्री बंद होने से 500 घरों का जीवन संकट में

(नीरज त्यागी, NTI न्यूज व्यूरो, UP)

रायबरेली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी रायबरेली जिले को बड़े औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करना चाहते थे, लेकिन जिले में पिछले एक दशक में करीब दस से अधिक कारखानों पर ताला लग चुका है। इनमें मुंशीगंज क्षेत्र की चीनी मिल, इंडस्ट्रियल एरिया में शीना होमटेक्स प्राइवेट लिमिटेड, अचार फैक्ट्री और स्पिनिंग मिल जैसे उद्योग शामिल हैं।

जिले के इंडस्ट्रियल क्षेत्र में शीना होमटेक्स कंपनी पिछले तीन वर्षों से बंद है। यह कंपनी जिले में हज़ारों की संख्या में महिलाओं को रोज़गार दे रही थी। इस कंपनी में सात वर्षों तक काम कर चुकी चंद्रनगर कस्बे में रहने वाली सुनीता त्रिवेदी (53 वर्ष) ने बताया, ‘’शीना कंपनी में जिलेभर की 500 से अधिक महिलाएं काम करती थीं, लेकिन कंपनी के बंद हो जाने के बाद सब घर पर बैठ गई हैं। कंपनी को शुरू करवाने के लिए हमने विधायक से लेकर सांसद सोनिया गांधी तक गुहार लगाई पर आजतक फैक्ट्री बंद है।’’

संयुक्त राष्ट्र श्रम संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2017 और 2018 के बीच भारत में बेरोजगारी में मामूली इजाफा हो सकता है। पिछले साल के 1.77 करोड़ बेरोजगारों की तुलना में 2017 में भारत में बेरोजगारों की संख्या 1.78 करोड़ और उसके अगले साल 1.8 करोड़ हो सकती है। प्रतिशत के संदर्भ में 2017-18 में बेरोजगारी दर 3.4 प्रतिशत बनी रहेगी।

दूसरी ओर, स्पिनिंग मिल में काम कर चुकी विमला देवी (50 वर्ष) कहती हैं कि मिल के बंद हो जाने के बाद क्षेत्र के कई लोग बेरोजगार हो गए। विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं ने कारखाने खुलवाने की बात कही थी मगर अब तक ऐसा नहीं हो सका।

वहीं, रायबरेली जिले के मुंशीगंज क्षेत्र में बने एम्स अस्पताल में आसपास के गाँवों के किसानों से उनकी उपजाऊ ज़मीनें ली गईं। सुल्तानपुर आइमा गाँव के रहने वाले सुशील त्रिवेदी (50 वर्ष) का दो एकड़ खेत एम्स अस्पताल के निर्माण में लिया गया था, लेकिन उनकी ज़मीन का मुआवजा उन्हें आज तक नहीं मिला था। सुशील त्रिवेदी ने बताया,’’ अस्पताल के निर्माण में हमारा दो एकड़ खेत लिया गया था, लेकिन अभी तक पूरा पैसा नहीं मिला है। चुनाव के बाद पैसा दिए जाने की बात कही गई थी, लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं हुआ।’’ जिले में एम्स अस्पताल की तरह ही रायबरेली से लखनऊ तक बने नए राष्ट्रीय राजमार्ग और लालगंज रेलकोच कारखाने में प्रयोग हुई सैकड़ों लोगों की ज़मीन पर मुआवजा देने की बात को विधानसभा चुनावों में अहम मुद्दा बनाया गया। चुनाव खत्म हो गए हैं और नए विधायक अपने अपने क्षेत्रों में जाकर लोगों से भी मिल रहे हैं, लेकिन पुराने मुद्दों पर बातें नहीं हो रही हैं।

प्रदेश में 44.78 प्रतिशत परिवार अभी भी भूमिहीन

आर्थिक एवं जाति जनगणना 2011 के अनुसार, उत्तर प्रदेश में कुल 2,60,15,544 ग्रामीण परिवार हैं, जिनके पास कुल 7.5 करोड़ एकड़ ज़मीन है। उत्तर प्रदेश में 55.22 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास ही ज़मीन है, यानी कि 44.78 प्रतिशत परिवार अभी भी भूमिहीन हैं।

किसी ने नहीं ली सुध

विधानसभा चुनाव से पहले अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली में चुनावी रैली करने के लिए आई प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने जिले में बंद पड़े कारखानों को फिर से चालू कराने का ऐलान भी किया था। लेकिन चुनाव बीत जाने के बाद भी अभी किसी नेता ने कारखानों को खुलवाने की सुध नहीं ली है।

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