माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) एक अभियान की शुरुआत कर रही है, जिसका नेतृत्व करने वाले लवराज सिंह शक्तू ने पाया कि ऊंचाई पर हिमालय की नीली भेड़ें (जिन्हें स्थानीय लोग भरल कहते हैं) एक विचित्र तरीके से देखने की शक्ति खो रहीं हैं।
टीम ने पाया कि भेड़ों की आंखें बाहर निकल आई हैं और उनसे खून बह रहा है जबकि कुछ भेड़ों की आंखों की जगह पर खाली जगह हो गई है। इस क्षेत्र में दो भेड़ों की मौत हो गई थी जबकि एक अन्य उदाहरण में एक अंधा मेमना एक गड्ढे में गिर गया जबकि उसकी मां (जो कि अंधी थी) असहाय तरीके से कुछ दूरी पर खड़ी रही।
माना जा रहा है कि यह किसी तरह की बीमारी है। इसके बाद टीम ने गंगोत्री नैशनल पार्क के अधिकारियों को सतर्क कर दिया, साथ ही उन्होंने बताया कि जानवरों को बचाने के लिए टीम जल्द ही भेजी जा रही है। टीम के सदस्यों ने बाद में यह भी बताया कि मेमना की भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) बरेली में मौत हो गई। आईवीआरआई के पशु चिकित्सक ने बताया कि किसी भी मेमने को इलाज के लिए नहीं भेजा गया था और उन्हें सिर्फ मृत जानवरों के टिशू सैम्पल ही मिले थे।
पार्क के डेप्युटी डायरेक्टर ने भेड़ों में किसी भी तरह की बीमारी फैलने की बात से साफ तौर पर इनकार किया है। कुमार ने बताया कि यहां भेड़ों के अंधे होने या मरने का कोई मामला नहीं हुआ। एक अंधे भेड़ का उदाहरण हमें उसी मामले में मिला है, जिसमें वह गड्ढ़े में गिरने के बाद मर गया।