ऋषिकेश : गंगा में राफ्टिंग के दौरान हो रहे हादसों को लेकर राज्य सरकार भी अब हरकत में आई है। मानवाधिकार आयोग की ओर से हादसों का संज्ञान लेने के बाद अब पर्यटन विभाग ने अवैध राफ्टिंग कंपिनयों व संचालकों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है।
इस कड़ी में हाल ही में दिल्ली के पर्यटक की रफ्टिंग हादसे में मौत के बाद पर्यटन विकास बोर्ड ने हादसे की मजिस्ट्रेटी जांच बैठाते हुए अस्थाई तौर पर राफ्टिंग कंपनी का लाइसेंस रद कर दिया।
एक सप्ताह पूर्व शनिवार को मरीन ड्राइव से मुनिकीरेती रामझूला तक राफ्टिंग के दौरान दिल्ली के पर्यटकों की राफ्ट गंगा के गोल्फ कोर्स रैपिड पर पलट गई थी। रैपिड पर समय से रेस्क्यू न होने से इस्लाम कॉलोनी, महरौली दिल्ली निवासी 35 वर्षीय सुभाष कुमार की मौत हो गई थी।
सुभाष कुमार के चचेरे भाई और अन्य साथियों ने बताया कि जो गाइड पर्यटकों को राफ्टिंग करा रहा था वह नाबालिग और अनुभवहीन था। उसने राफ्ट पलटने के बाद पर्यटकों को रेस्क्यू करने में भी मदद नहीं की। तब दैनिक जागरण ने राफ्टिंग के दौरान हो रहे हादसों के प्रति प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए थे।
इस मामले में उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए सचिव पर्यटन विभाग को पत्र भेजा है। इसमें उन्होंने कंपनियों की ओर से राफ्टिंग नियमों का पालन न होने से बढ़ रहे हादसों की जांच कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।
इसके बाद इस मामले में पर्यटन विभाग ने उप जिलाधिकारी नरेंद्रनगर को हादसे की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं। दिल्ली के पर्यटक की मौत के मामले में प्रथम दृष्ट्या कंपनी की लापरवाही सामने आने पर पर्यटन विभाग ने एस्कीमो एडवेंचर कंपनी का लाइसेंस भी अस्थाई रूप से रद कर दिया है।
हालिया घटना के बाद अब पर्यटन विभाग ने बगैर लाइसेंस के संचालित हो रही कंपिनयों पर शिकंजा कसने के साथ ही लाइसेंसधारी कंपनियों के भौतिक सत्यापन को लेकर भी मुहिम तेज कर दी है।
प्रशासन की आंखों में धूल झोंक रही कंपनियां
गंगा के कौड़ियाला-मुनिकीरेती इको टूरिज्म जोन में वर्तमान में 270 राफ्टिंग कंपनियों को पर्यटन विभाग द्वारा लाइसेंस जारी किए गए हैं, जबकि इससे अधिक कंपनियां वर्तमान में यहां राफ्टिंग का संचालन कर रही हैं।
लाइसेंस शर्त के मुताबिक कोई भी कंपनी एक लाइसेंस पर दो राफ्टों का संचालन कर सकती हैं। मगर, कई राफ्टिंग कंपनियां ऐसी हैं जो एक ही लाइसेंस पर तीन से चार राफ्टों का संचालन कर रही हैं। तुर्रा यह है कि राफ्टिंग कंपनियों ने अपनी राफ्टों पर एक जैसे नंबर अंकित किए हुए हैं। यानी दो राफ्टों की अनुमति पर तीन या चार राफ्टें गंगा में उतारी जाती हैं।
पूर्व में वन विभाग ने इस तरह के फर्जीवाड़े को पकड़ने के लिए राफ्टों पर क्यूआर कोड लगाए थे। मगर, अब यह व्यवस्था भी समाप्त कर दी गई है। वन विभाग तपोवन के समीप बैरियर पर आगे जाने वाली प्रत्येक राफ्ट से शुल्क लेता है और इस दौरान राफ्ट की जांच भी की जाती है। इस तरह की राफ्टों की रोकथाम के लिए वन विभाग भी गंभीरता नहीं दिखाता।
यही नहीं कंपनियां मुनाफा कमाने के लिए अप्रशिक्षित गाइड के हवाले संचालन का जिम्मा सौंप देती हैं। सुरक्षा मानकों का भी कई कंपनियां सही तरीके से पालन नहीं कर रही हैं। वीकेंड पर गंगा में अधिकांशत: ओवरलोड राफ्टें तैरती नजर आती हैं, जिससे गंगा में राफ्टिंग के दौरान हादसे बढ़ रहे हैं।
राफ्टिंग प्रबंधन सोसाइटी रखेगी नजर
गंगा में राफ्टिंग गतिविधयों के संचालन पर नजर रखने के लिए और पर्यटक सुविधाओं के विकास के लिए गंगा नदी राफ्टिंग प्रबंधन सोसाइटी का गठन व पंजीकरण भी हो चुका है। सोसाइटी में जिलाधिकारी पदेन अध्यक्ष हैं, जबकि पर्यटन विभाग, वन विभाग, उप जिलाधिकारी व राफ्टिंग कंपनियों के छह प्रतिनिधि इस समिति की कार्यकारिणी के पदाधिकारी व सदस्य हैं। शासन स्तर पर अब तक यह सबसे बड़ी पहल है। इस समिति के गठन के बाद अब जहां राफ्टिंग कंपनियों की मानमानी पर अंकुश लगेगा, वहीं इको टूरिज्म जोन में सुविधाओं का विस्तार होने की भी उम्मीद जगी है।
समिति के सदस्य धर्मेंद्र नेगी ने बताया कि समिति जल्द ही अपने तयशुदा कार्यों को अमलीजामा पहनाने जा रही है। पर्यटकों की सुरक्षा व सुविधाओं को लेकर त्वरित कदम उठाए जाएंगे।
जिला पर्यटन अधिकारी, टिहरी गढ़वाल सोबत सिंह राणा के अनुसार बीते शनिवार को हुए हादसे के बाद संबंधित कंपनी का लाईसेंस अस्थाई तौर पर रद कर दिया गया है। मजिस्ट्रेटी जांच के बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। गंगा नदी राफ्टिंग प्रबंधन समिति का भी पंजीकरण कर दिया गया है। जल्द ही समिति के राफ्टिंग कंपनियों के साथ बैठक कर उन्हें आवश्यक दिशा-निर्देश देगी। पर्यटकों की सुरक्षा के लिए गंभीरता से प्रयास किए जाएंगे।