प्रदेश की योगी सरकार लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे की जांच करा रही है। आगरा में इसके लिए हुए भूमि अधिग्रहण में निर्धारित दर से कहीं ज्यादा मुआवजा बांटने के आरोप हैं। ऐसे में सम्बंधित लेखपाल की बाइक और उसमें रखे लखनऊ एक्सप्रेस वे संबंधी कागजात चोरी होने के मामले में प्रशासन और पुलिस, दोनों उलझ गए हैं। लेखपाल नारायन दास को एक माह पहले ही एत्मादपुर मदरा क्षेत्र का जिम्मा दिया गया है। इस क्षेत्र की भूमि लखनऊ एक्सप्रेस वे और इनर रिंग रोड, दोनों अहम योजनाओं के तहत अधिग्रहीत की गई हैं। बोदला क्षेत्र निवासी लेखपाल ने बुधवार को सिकंदरा-बोदला मार्ग स्थित कारगिल पेट्रोल पंप के पास से अपनी बाइक और थैला चोरी का मुकदमा दर्ज कराया। बताया गया कि थैले में लखनऊ एक्सप्रेस वे और इनर रिंग की जमीन से संबंधित खसरा-खतौनी भी थीं। एसडीएम सदर रजनीश मिश्र ने बताया की मामले की जांच के लिए तहसीलदार सदर रजनीकांत की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी है। समिति ने लेखपाल को बुलाया है।
तहसीलदार रजनीकांत ने बताया कि लेखपाल से कागजातों के संबंध में लिखित में जानकारी ली जाएगी। पुराने लेखपाल को भी बुलाया जा रहा है, जिससे यह पता चल सके कि चार्ज देते समय कौन से अभिलेख दिए गए थे और वर्तमान में कौन से चोरी जाने की बात कही जा रही है। दरअसल जिस तरह से उत्तर प्रदेश सरकार ने एक्सप्रेस वे की जांच बिठाई है माना जा रहा है कि इसकी जद में कई अधिकारियों भी आ सकते हैं। जांच में ही पता तल पाएगा कि दस्तवेज चोरी हुए हैं या फिर गायब कर दिए गए हैं।