नई दिल्ली. ओंटारियो में वाटरलू विश्वविद्यालय के रिसर्चर्स ने एक ऐसा एयरबोर्न स्कैनिंग डिवाइस का पता लगाया है, जो शेल्फ ड्रोन की मदद से आपके घर में वाईफाई से जुड़े डिवाइस की लोकेशन को Triangulate कर सकता है. यह वाईफाई नेटवर्क के डेटा में हेरफेर कर सकता है. इतना ही नहीं यह स्नीकी स्कैनिंग के माध्यम से डिवाइसों के लोकेशन का पता लगा सकता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक यह लोकेशन रिविलिंग प्राइवेसी अटैक में शामिल हो सकता है. हाल ही में मोबाइल कंप्यूटिंग और नेटवर्किंग पर 28वें वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने फाइंडिंग को प्रेजेंट करने वाले रिसर्चर अली अबेदी और दीपक वशिष्ठ ने इसे ‘वाई-पीप’ का नाम दिया है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह डिवाइस IEEE 802.11 में सिक्योरिटी खामियों का फायदा उठाता है. बता दें कि IEEE 802.11 एक लोकल एक्सेस नेटवर्क के लिए एक वायरलेस प्रोटोकॉल होता है. इसमें डेटा इंटरसेप्शन और ईव्सड्रॉपिंग की समस्याएं रही हैं. इस कार्यक्रम को एक ‘टाइम-ऑफ-फ्लाइट’ तकनीक (टीओएफ) के रूप में जाना जाता है, जो सिग्नल और ऑब्जेक्ट के बीच फिजिकल दूरी को मापने के लिए डेटा मैनिपुलैशन ट्रिक का इस्तेमाल करता है.
स्थानीय डिवाइसों के साथ संपर्क
सभी स्मार्ट डिवाइस अपने एरिया के अन्य डिवाइसों से contact attempts का ऑटोमैटिकली रिस्पांस देने के लिए तैयार होता हैं, भले ही उनका नेटवर्क पासवर्ड सुरक्षित हो. इस खामी में हेरफेर करने के लिए वाई-पीप एक टीओएफ सिग्नल को इमिट करता है जो स्थानीय डिवाइसों के साथ संपर्क बनाने का प्रयास करता है और बाद में किसी विशेष बिल्डिंग या क्षेत्र के भीतर स्पेसिफिक वाईफाई-संचालित डिवाइसों केsurreptitious localization की अनुमति देता है.
घरों के सिक्योरिटी कैमरों का लगा सकता है पता
शोधकर्ताओं के मुताबिक डिवाइस की प्रकृति का मूल्यांकन उसके मैक पते से ली गई जानकारी के माध्यम से किया जा सकता है, जो एक विशेष नेटवर्क के डिवाइसों को दिया जाने वाला यूनीक आइडेंटिफायर है. आबिदी और वशिष्ठ ने चिंता जताई है कि इस डिवाइस से हैकर संभावित रूप से घर में रहने वालों, सिक्योरिटी कैमरों और यहां तक कि घर के इंट्रूजन सेंसर के लोकेशन का अनुमान लगा सकता है.