कहते हैं कि इतिहास वही लोग बनाते हैं लाखों बढ़ाएं आने पर भी अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटते। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के धर्मपुर क्षेत्र के युवक अजय सकलानी ने। अजय सकलानी इससे पहले कई डॉक्यूमेंट्री का निर्माण किया है। इनके मन में हिमाचल को सिनेमा की दुनिया में ले जाने की जिद्द थी फिर क्या था इन्होंने वह कर दिखाया जो एक सपना लगता था। भारतीय सिनेमा के 100 साल के इतिहास में पहली बार हिमाचल की पहाड़ी भाषा में बनी फिल्म सांझ देश भर के सिनेमा घरों में रिलीज हो चुकी है।
फिल्म हिमाचल के शिमला, कुल्लू, भुंतर, पालमपुर, नूरपुर, हमीरपुर और सुंदरनगर के थिएटर में चल रही है। लोगों की मांग पर फिल्म के निर्देशक अजय सकलानी इसे हिमाचल से बाहर चंडीगढ़, दिल्ली एवं अन्य बड़े शहरों में रिलीज कर रहे हैं।
यह फिल्म लोगों को खूब पसंद आ रही है। फिल्म की कहानी काफी संजीदा है। कहानी, निर्देशन और कैमरामैन का जिम्मा खुद अजय सकलानी ने संभाला था। इन दिनों सोशल मीडिया में भी फिल्म चर्चा में है और फिल्म को काफी अच्छा रिस्पांस मिल रहा है।
साइलेंट हिल्स स्टूडियो हमीरपुर के बैनर तले बनी सांझ फिल्म में पांच गाने हैं। इन में से दो गाने बॉलीवुड के सुप्रसिद्ब गायक मोहित चौहान ने गाए हैं। म्यूजिक डायरेक्टर धर्मशाला के रहने वाले गौरव गुलेरिया हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक शिशिर चौहान ने दिया है। फिल्म अभिनेता आसिफ बसरा, विशाल परपग्गा और अदिति चाडक ने दमदार अभिनय किया है।
फिल्म शहरों की तरफ होते पलायन के चलते अपनों से बिछड़ने और अकेलेपन की कहानी है। एक घंटा 50 मिनट की फिल्म प्रदेश की पहली हिमाचली भाषा में बनी फीचर फिल्म है। अमरीका में मिल चुका है बेस्ट फीचर फिल्म का सम्मान
फिल्म बड़े पर्दे पर नजर आने से पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब चर्चा बटोर रही है। अमेरिका के कैलिफोर्निया में बोरेगो स्प्रिंग्स फिल्म फेस्टिवल में सांझ को बेस्ट फीचर फिल्म से सम्मानित किया गया।
अजय सकलानी ने पत्रकारिता व जनसंचार में अपनी पढ़ाई पूरी कर दिल्ली में कैमरा एंगल की बारीकियां, संपादन और निर्देशन के गुर सीखे। इसके बाद वह अपनी डॉक्यूमेंट्री उपसमर द टेस्ट ऑफ हंगर से सुर्खियों में आ गए। इस डॉक्यूमेंट्री में उन्होंने महाराष्ट्र के आदिवासी इलाके में कुपोषण से होने वाली बच्चों की मौत को केंद्रित किया है। इसको राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय समारोहों में काफी सराहना मिली। इसके बाद उन्होंने साइलेंट हिल स्टूडियो की स्थापना कर पहाड़ी सिनेमा को मुख्य धारा में लाने के प्रयास शुरू कर दिए। अपनी मेहनत और मजबूत इरादों से पहाड़ी में पहली फीचर फिल्म का निर्माण कर सिनेमा जगत में पहाड़ की उपस्थिति दर्ज करवा दी।