लखनऊ। नेशनल हेल्थ मिशन में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। दरअसल चुनाव आचार संहिता के दौरान विभाग में भर्तियां की गयी और किसी को कानों-कान खबर नहीं लगी। ये भर्तियां सीनियर एडवाइजर, डिप्टी जनरल मैनेजर, जनरल मैनेजर सहित कुल 7 पदों पर हुई। दरअसल इन भर्तियों का इंटरव्यू 10 मार्च को कर लिया गया और 25 मार्च को नये आदेश से पहले मिशन निदेशक ने 23 मार्च को नियुक्तियों को भरने के लिए सहमति भी दे दी।
इसका खुलासा तब हुआ जब अनिल सिन्दूर नामक व्यक्ति ने इसकी शिकायत 15 मार्च को ईमेल के माध्यम से गवर्नर सहित मिशन निदेशक से की। अनिल सिन्दूर की ओर से की गयी शिकायत के अनुसार सूबे में शासन और मुख्यमंत्री के नवीन नियुक्ति पर रोक सम्बंधी सचिव के आदेश के पहले ही 23 मार्च को मिशन निदेशक ने नियुक्तियों को भरने की सहमति दे दी। दरअसल ये आदेश 25 मार्च को होना था। जिसको देखते हुए 24 मार्च को ही नियुक्तियों का ऑफर लेटर जारी कर दिया गया।
एनएचएम की ओर से की गयी भर्ती में जमकर धांधली हुई। इस नियुक्ति में डॉ. बलजीत सिंह अरोड़ा को वरिष्ठ सलाहकार बनाया गया। जबकि वह पिछले 2 साल से इसी पद पर काबिज हैं। इस कारण मानव संसाधन के प्रभारी के रूप में महाप्रबंधक मानव संसाधन उनके प्रति जवाबदेह है। हैरानी की बात ये है कि आवेदन पत्रों की जाँच, साक्षात्कार मंडल का निर्धारण और परिणाम जारी करने तक वो ख़ुद नियुक्ति प्रक्रिया का भाग हैं और खुद आवेदक भी हैं।
हद तो ये हो गयी कि 9 मार्च को डॉ. बलजीत सिंह अरोड़ा का साक्षात्कार था और 10 मार्च को उन्होंने अन्य पदों के लिए बतौर पैनल मेम्बर साक्षात्कार लिया। दरअसल डॉ. अरोड़ा और डॉ. हरिओम दीक्षित दोनों की 31 मार्च को अनुबंधित सेवाएँ समाप्त हो रही थीं इसलिए भी चयन प्रक्रिया पूरी करनी थी।
बताते चलें कि डॉ. हरिओम दीक्षित 31 मार्च 2013 को महाप्रबंधक (बाल स्वास्थ्य) से सेवानिवृत्त हुए थे लेकिन उन्हें अगले दिन यानी एक अप्रैल से ही दो हज़ार रुपए प्रतिदिन पर महाप्रबंधक प्रशिक्षण का पद और तीस हज़ार रुपए मासिक व्यय की सरकारी कार दे दी गयी थी। जो अभी भी उनकी सेवा में है। यानी मानदेय पचास हज़ार महीने और कार तीस हज़ार की।
अनिल सिन्दूर ने शिकायत में ये आरोप लगाया है कि यूपी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में सेवा की अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष है। ऐसा माना जा रहा है कि इस समय काम कर रहे सात सेवानिवृत्त चिकित्सकों को लाभ पहुँचाने के लिए यह आयु सीमा बढ़ायी जाने वाली है। इसी तरह दूसरे पदों पर वेटिंग में किसी अन्य प्रत्याशी का नाम नहीं होना प्रक्रिया पर संदेह
उत्पन्न करता है।
इस बारे में यूपी एनएचएम के मिशन निदेशक आलोक कुमार ने बताया कि 10 मार्च को इंटरव्यू की तिथि निर्धारित की गयी थी। न कि भर्ती की गयी। नियुक्तियां 23 मार्च को हुई हैं और 11 मार्च के बाद आचार संहिता खत्म हो गयी थी। क्योंकि भर्तियों का इंटरव्यू हो चुका थाइसलिए नये मुख्यमंत्री या शासन की नियुक्ति होने तक भर्तियां न करने का कोई नियम नहीं
है। इसलिए 23 मार्च को नियुक्तियों की संस्तुति कर दी गयी।