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अमेज़न बेच रहा है महिला योनी वाला ऐश ट्रे

(बबिता शाह लोहानी, NTI न्यूज़ ब्यूरो )

ऑनलाइन शॉपिंग साइट अमेज़न, इंडियन मार्केट में लगातार विवादों में घिरा रहा है। अमेज़न अपने प्रॉडक्ट को लेकर एकबार फिर से चर्चा में है। इसबार लोगों की नाराज़गी की वजह है अमेज़न पर सिगरेट बुझाने के लिए बिक रही ये ऐश ट्रे। ऐश ट्रे को एक महिला की शक्ल दी गई है। ऐश ट्रे में सिगरेट को बुझाने का स्पॉट महिला की योनी को बनाया गया है।

सोशल मीडिया पर इस ऐश ट्रे को लेकर लोगों में काफी नाराज़गी और गुस्सा है। जब हम बचपन में थे तो अक्सर एक टैगलाइन देखा करते थें दुकानों में कि फैशन की दौर में गारंटी की इच्छा ना करें। इस जुमले को अमेज़न इंडिया के संदर्भ में देखें तो कुछ ऐसा निकलकर सामने आता है कि बाज़ारवाद के दौर में विवेक की इच्छा ना करें।

अमेज़न का ये प्रॉडक्ट ना सिर्फ बाज़ारवाद की उपज है बल्कि अगर आप इस सोच के पीछे जाएं तो महिलाओं को उपभोग की वस्तु समझे जाने का जिवंत उदाहरण इस ऐश ट्रे के शक्ल में आपके सामने होगा। महिला की योनी में जलती सिगरेट बुझाने को आमंत्रण देना हमारे समाज की कुंठा और महिलाओं के प्रति हमारे रवैय्ये को समझने के लिए काफी है।

सोशल मीडिया पर विरोध के बीच एक सवाल जो बार-बार उठाया जा रहा है वो बहुत जायज़ नज़र आता है। सवाल ये कि क्या योनी में सिगरेट बुझाने की मानसिकता, महिला योनी में पत्थर, कंकर, रॉड डालने वाली बलात्कारी मानसिकता जैसी ही नहीं है? क्या ये प्रॉडक्ट इस बात पर मुहर नहीं लगाता कि हम एक बलात्कारी समाज में जीते हैं? आधुनिकता और कंज्यूमर सैटिसफैक्शन की कसमें खाने वाले एक ब्रैंड की इस हरकत के पीछे क्या सोच हो सकती है इसका अंदाज़ा लगाना बहुत मुश्किल नहीं है।

इस प्रॉडक्ट के रिव्यू सेक्शन में लोगों ने जमकर अमेज़न की आलोचना की है। शायद होगा भी यही कि हम आप और हमारे जैसे कुछ लोग इस प्रॉडक्ट की आलोचना करेंगे, बात अमेज़न तक पहुंचेगी। अमेज़न के तरफ से आदतन माफीनामा जारी किया जाएगा और सारा मामला शांत हो जाएगा। लेकिन क्या हम उस सोच के पीछे के तर्क और नासमझी को बदल पाएंगे जो महिला को हर रूप में विलासिता और अपनी सेक्शुअल कुंठाए बाहर निकालने का ज़रिया मात्र समझता है?

गौर करिएगा, पूरा मार्केड डिमांड एंड सप्लाई के सिद्धांत पर चलता है। इसका मतलब समझ रहे हैं ना? मतलब ये कि हमने ही, हमारे समाज ने ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे प्रॉडक्ट की मांग की है। हां यहां जेनरेलाइजेशन से बचा जा सकता है वरना अगर आप पुरुष होकर भी ये लेख पढ़ रहे हैं तो आप नाराज़ हो सकते हैं और अपने अच्छे होने का वास्ता दे सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे साहब कि जब आपके ग्रुप में  दोस्तों के साथ किसी लड़की को गाली दी जा रही होती है तब भले ही वो गाली आपने ना दी हो लेकिन उस गाली और गाली जैसे ही भद्दे मज़ाकों पर मुस्कुराना आपकी स्वीकृती के इतर कुछ भी नहीं है।

हमने क्या बना दिया है अपने समाज को जहां एक लड़की सिर्फ संघर्ष करने के लिए अस्तित्व में है? मतलब जहां जाए वहां संघर्ष? जीना तो जैसे लग्ज़री है महिलाओं के लिए हमारे समाज में, अपने हिस्से का संघर्ष करो और फिर आने वाली नस्ल को भी संघर्ष के लिए तैयार करों। क्योंकि बराबरी, हक,विवेक, संवेदना इन सब शब्दों से पुरुष समाज शून्य हो चुका है।

और अगर आप पुरुष हैं तो फिर अमेज़न के इस प्रॉडक्ट पर गुस्सा भी क्यों आ रहा है आपको? आपके और हमारे कुंठा को पूरा करने के लिए ही तो बना है प्रॉडक्ट जहां आप सुलगती सिगरेट को किसी महिला की योनी में डालकर बुझाते हैं, और तृप्ति का एहसास करते हैं। ठीक वैसे ही जैसे आप अपने पौरुष का एहसास करवाने के लिए उसे बालों से खीचकर सेक्स क्रिया को भी बस पुरुष तृप्ती का एक खेल बना बैठते हैं।

खैर भावनाओं से तथ्यों की ओर फिर आते हैं। ये पहला मौका नहीं है जब अमेज़न ने अपने प्रॉडक्ट को लेकर लोगों को नाराज़ किया हो। इससे पहले भी तिरंगे वाले डोरमैट को लेकर खूब हंगामा हुआ था। सुषमा स्वराज खुद मामले में आईं थीं। लेकिन इसबार मामला देशभक्ति से जुड़ा नहीं है तो शायद ही हमारा खून इतना खौले। और फिर आपने अपने मॉडरनाइज़्ड खयालातो में भी महिलाओं को दासी से ज़्यादा दर्जा तो दिया नहीं है तो फिर दासियों के लिए कौन सा समाज उठ खड़ा होता है। सो जस्ट चिल, सब ठीक है।

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