उत्तराखंड में है दूसरा अमरनाथ, गुफा में है बाबा बर्फानी

लंबे समय से ये चर्चाएं उत्तराखंड के उन गांव वालों से सुनने में मिलती आई हैं जो साल के 8 महीने ही इस स्थान पर रहते हैं, जिसके बाद गांव के लोगों को नीचे उतर कर आना पड़ता है। उन लोगों से अक्सर यही सुनते थे कि उत्तराखंड में एक ऐसी जगह है जहां के पहाड़ो में भगवान शिव साक्षात विराजते हैं।

वैसे तो पूरे उत्तराखंड में ही भगवान भोले का वास है लेकिन एक स्थान है जो हजारों सालों से देश दुनिया की नजर में कभी नहीं आया था। बात चमोली जिले के सीमांत गांव की है, जिसका नाम है टिम्बरसैंण। इस गांव में ज्यादातर भोटिया प्रजाति के लोगों रहते हैं। इस जगह पर वैसे तो इस मौसम में कोई नहीं जाता है लेकिन आज भगवान भोले के भक्तों के सामने बाबा का एक अद्भुत स्वरूप सामने आ गया है।

यहां का दृश्य ऐसा है कि चारों तरफ हरियाली और नीचे बहती नदी की धारा मानो मन को मोह ले। चमोली का ये वो गांव है जो साल के चार महीने बर्फबारी से खाली हो जाता है। बीच में बाबा बदरीनाथ के दर्शन और उससे आगे का गांव नीति, यहां फिलहाल सेना के अलावा कोई और नहीं रहता है।

विशालकाय पहाड़ों के बीच यहां का सफर रुक जाता है। यहां पहुंचकर दिखाई देता है कि बर्फ पूरी तरह से पिघल चुकी है। दिखाई देता है कि पहाड़ी की चोटी की गुफा में एक भगवान का मंदिर बना है लेकिन इस तरह के मंदिर होना उत्तराखंड में आम बात है। लेकिन थोड़ा सा और चलने पर देखते हैं कि चटकती धूप और गंजे हो चुके पहाड़ों के बीच बर्फ से भगवान भोले की आकृति बनी हुई है।

पहली नजर में देखकर आंखों को ऐसा लगता है कि जैसे हम कहीं बाबा अमरनाथ धाम तो नहीं आ गए। ये ताज्जुब की बात ही है कि चारों तरफ जहां बर्फ के अलावा किसी का नामोनिशान नहीं, उस जगह पर भगवान भोलेनाथ इस अनोखे स्वरूप में विराजमान हैं।

कहा जाता है कि इस गुफा में भगवान शिव केवल 4 महीने के लिए विराजते हैं। इस शिवलिंग के दर्शन या तो कभी यहां के कुछ लोगों ने किए हैं या फिर सीमा की सुरक्षा में लगी सेना ने किए हैं। जबतक गांव के लोग यहां आते हैं, तबतक भगवान यहां से लुप्त हो जाते हैं।

कुछ जानकारों का कहना है कि पांडवों के समय मे भगवान शिव इसी जगह पर विराजते थे लेकिन फिर वो इस स्थान को छोड़कर कैलाश मानसरोवर में विराज गए। सबसे बड़ी बात ये है कि इस जगह से कैलाश पर्वत पर महज दो दिन में पहुंचा जाता था लेकिन साल 1962 के बाद इस स्थान को बंद कर दिया गया।

बाबा के ये दर्शन महज साल में एक महीने के लिए होते हैं। मार्च तक ये जगह बर्फ से ढकी रहती है और बर्फ पिघलने के बाद अप्रैल अंतिम तक अपने आप बाबा की ना केवल गुफा खुलती है बल्कि एक महीने विराजमान रहने के बाद बाबा भोलेनाथ इस स्थान से प्रस्थान कर जाते हैं। शिवलिंग और गुफा के अंदर बैठे बाबा बर्फानी के बारे में कहा जाता है कि इस स्थान की परिक्रमा करने से ही इंसान को मुक्ति मिल जाती है।

About न्यूज़ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

News Trust of India न्यूज़ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

Leave a Reply

Your email address will not be published.

ăn dặm kiểu NhậtResponsive WordPress Themenhà cấp 4 nông thônthời trang trẻ emgiày cao gótshop giày nữdownload wordpress pluginsmẫu biệt thự đẹpepichouseáo sơ mi nữhouse beautiful