(नीरज त्यागी, संपादक, उत्तर प्रदेश)
गाजियाबाद: हॉटसिटी की डेवलपमेंट एजेंसी गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा जमीनों के पुनर्अधिग्रहण कर अरबों रूपये के हेरफेर किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। प्राधिकरण ने निगम और किसानों की जमीन को पहले गुपचुप तरीके से अपने पक्ष में पुनर्अधिग्रहण किया। इसके बाद में बेव सिटी, सन सिटी समेत 8 बिल्डरों को कौड़ियों के भाव
में अवैधानिक रूप से हस्तान्तरित और बेच दिया। सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट को मेरिट के आधार पर सभी केसों के निबटारे के आदेश दिए हैं।
हाईकोर्ट ने देरी का आधार मानकर की थी खारिज
वरिष्ठ एडवोकेट और निगम पार्षद राजेन्द्र त्यागी ने बताया कि हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। अदालत को बताया गया था कि प्राधिकरण ने निगम की जमीनों को खुर्दबुर्द करके बिल्डरों को बेचा है। कोर्ट ने याचिका देरी से दाखिल करने को आधार मानकर खारिज कर दिया था। इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल की गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को मेरिट के आधार पर निबटारा किए जाने के लिए कहा।
इन गांवों से ली गई जमीन
नगर निगम क्षेत्र के गांव हरसांव, भोवापुर, मकनपुर, भौपुरा, सद्दीक नगर, नूरनगर सिहानी, कैला अकबर पुर बहरामपुर में निगम की जमीनों को गुपचुप तरीके से अपने पक्ष में करके बिना सहमति के बिल्डरों को सेल डीड/लीज डीड के द्वारा फ्री होल्ड व मोडगेज अधिकार देते हुए हस्तान्तरित कर दी थी।
जीडीए ने इन बिल्डरों को पहुंचाया फायदा
अनियमित तरीके से जीडीए ने उप्पल चड्ढा हाईटेक सिटी, सनसिटी हाईटेक, आंचल प्रॉपर्टी, क्रासिंग इन्फ्राटेक, अग्रवाल एसोसिएट्स, साइनी बिल्डर, एसएमवी, लैडक्राफ्ट, सामन कन्सट्रक्शन आदि को सीधे तौर पर फायदा पहुंचाया।
कौड़ियों के भाव दी गई जमीन
पार्षद राजेन्द्र त्यागी का आरोप है कि जीडीए ने पुनग्रहण की जमीनों को बिल्डरों को कौड़ियों के भाव 1100 प्रति गज के हिसाब से दे डाला। जबकि सर्किल रेट छह हजार से लेकर 11 हजार रूपये प्रतिगज निर्धारित था। जीडीए की तरफ से उप्पल चड्ढा हाईटेक सिटी को 11 गांव की 189.545 जमीन, सनसिटी हाईटेक सिटी को 10 गांव की 149 एकड़ जमीन दी गई।
मालिकाना हक किसी का और बेची किसी को
निगम पार्षद राजेन्द्र त्यागी के मुताबिक गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा नियमों को ताक पर रखकर नया बस अड़्डा (नेहरू परिवहन केन्द्र) के लिए निगम द्वारा दी गई अपनी सक्रमणिय जमीन 80000 वर्गमीटर में से लगभग 40000 वर्गमीटर को अवैध रूप से आरईडी मॉल को नीलामी में 100.60 करोड़ में बेची गई। जबकि आज भी निगम इस जमीन का मालिक है।
हाईकोर्ट आदेश नहीं बेची जा सकती पुर्नग्रहण जमीन
हाईकोर्ट ने सख्त आदेश दिए हुए है कि पुर्नग्रहण जमीन को किसी भी सूरत में बेचा नहीं जा सकता है। क्रासिंग इन्फ्रास्टक्चर के मामले में इलाहबाद कोर्ट ने कहा था कि जीडीए पुर्नग्रहण जमीन का प्रबंधक है इसे फ्री होल्ड करके बेचा नहीं जा सकता।