सूत्रों के अनुसार कहा जा रहा है कि यादव के पास अरबों की संपत्ति का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मालिकना हक़ है। आरोप है कि इन्होंने 15 वर्षों में अवैध कमाई से अरबों की संपत्ति खड़ी कर ली है। इनके ऊपर वाराणसी के कैंटोमेंट में एक आलीशान होटल, वाराणसी के हरहुआ में हाईवे के किनारे कीमती प्लाट, वाराणसी में मकबूल आलम रोड पर करोड़ों का रिहायशी मकान, वाराणसी के आशापुर में डेढ़ बीघा जमीन, 15 वॉल्वो बसें, मुग़लसराय चंदौली में पूजा धर्म कांटा, गोरखपुर में शापिंग माल, नोएडा में रिहायशी फ्लैट आदि का मालिक होने का आरोप लगाया जा रहा है।
वर्षों से डटे हुए हैं, चलाते हैं पूरा सिंडिकेट
आरएस यादव पर आरोप है कि वह पिछले एक दशक से भी अधिक समय तक दक्षिणी पूर्वांचल क्षेत्र यानि भदोही, गाजीपुर, मिर्जापुर, बनारस व चंदौली में तैनात रहे हैं। यादव पर काली कमाई के जरिए अकूत सम्पति बनाने का आरोप है। यह भी आरोप है कि चंदौली से बिहार बॉर्डर तक वाहनों को पास करवाने के लिए उनका पूरा सिंडिकेट काम करता है। बता दें कि आरएस यादव मूल रुप से परिवहन विभाग के अधिकारी नहीं है। वे केवल प्रतिनियुक्ति पर इस विभाग में आए थे और पिछली सरकारों में सत्ता में अपनी पकड़ व रसूख के चलते अभी तक विभाग में एआरटीओ के पद पर डटे हुए थे।
विजिलेंस टीम भी कर सकती है जांच
माना जा रहा है कि पूर्व एआरटीओ की जांच विजिलेंस टीम से कराई जा सकती है। उनके फर्श से अर्श तक के कार्य, संपत्ती के अलावा नाते- रिश्तेदारों की जांच भी हो सकती है। आरएस यादव लंबे समय से चंदौली जिले में तैनात हैं और उन पर व्यापक पैमाने पर इंट्री और टोकन से करोड़ों रुपये अर्जित करने के लोग आरोप लगा रहे हैं। यही नहीं यादव की वैभव संपत्तियों की लोगों ने फोटो तक सरकार को भेजी है।
पकड़े जाएंगे नजदीकी
सात वर्षों से अधिक समय चंदौली में गुजार चुके पूर्व एआरटीओ की जांच के साथ उनके नजदीकी लोगों पर भी पुलिस कभी भी हाथ डाल सकती है। उनके साथ कौन-कौन से अधिकारी जुड़े हैं, अवैध कमाई का पैसा कहां तक पहुंचता है और लंबे समय से वे किस अधिकारी के निर्देश पर टिके थे, इसकी भी जांच होगी।
भूमिगत हुए गुर्गे
पूर्व एआरटीओ ने ट्रकों से अवैध वसूली करने व टोकन प्रदान करने के लिए बाकायदा विभागीय व अन्य लोगों की टीम बनाकर वसूली करने की चर्चाएं थीं। एआरटीओ की गिरफ्तारी की खबर फैलते ही उनके वसूली करने वाले गुर्गे भूमिगत हो गए हैं।