कुछ वैसे ही नेता आज भी प्रदेश में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। ऐसे में निकट भविष्य में प्रदेश नेतृत्व फिर से गुटबाजी का शिकार हो सकता है। इसीलिए संगठन में बदलाव कर उन कार्यकर्ताओं को मौका दिया जाएगा, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में समर्पित होकर काम किया है। भाजपा के राष्ट्रीय नेता बताते हैं कि उत्तराखंड विजय के पीछे भाजपा की अपनी मजबूती के साथ कांग्रेस पार्टी की कमजोरी भी रही है। इन दोनों ही वजहों से पार्टी की जीत तो तय हो गई, लेकिन पार्टी के अंदर कुछ नेता खिलाफ में काम करते रहे।
चुनाव जीतने के बाद तो ऐसे नेता मुख्यमंत्री पद को लेकर भी पार्टी के अंदर फूट डलवाने की जुगात में लगे रहे। आलम यह था कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, रमेश पोखरियाल निशंक, हरक सिंह रावत, धन सिंह रावत और भगतसिंह कोशियरी के बीच भी गुटबाजी की राजनीति को बढ़ाने की कोशिश तेज होने लगी थी। इसकी पूरी जानकारी पार्टी आलाकमान के पास पहुंची है, तो अब वहां बड़े स्तर पर बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है।
चुनाव जीतने के बाद तो ऐसे नेता मुख्यमंत्री पद को लेकर भी पार्टी के अंदर फूट डलवाने की जुगात में लगे रहे। आलम यह था कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, रमेश पोखरियाल निशंक, हरक सिंह रावत, धन सिंह रावत और भगतसिंह कोशियरी के बीच भी गुटबाजी की राजनीति को बढ़ाने की कोशिश तेज होने लगी थी। इसकी पूरी जानकारी पार्टी आलाकमान के पास पहुंची है, तो अब वहां बड़े स्तर पर बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है।