मेरठ। पुलिस—प्रशासनिक कार्य प्रणाली पर अब सीएम योगी का रंग दिखने लगा है। यही वजह है कि एक ओर प्रशासन जहां जन समस्याओं को गंभीरता से ले रहा है, वहीं सरकारी विभागों में चल रहे भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ भी अब सख्त कार्रवाई की जा रही है। मंगलवार को कुछ ऐसा ही नजारा मेरठ आरटीओ कार्यालय का था। पुलिस ने यहां बिना किसी पूर्व सूचना
को प्रशासनिक टीम के साथ छापेमारी कर बड़ी कार्रवाई की। इस दौरान पुलिस—प्रशासन की संयुक्त टीमों ने कार्यालय के दोनो गेटों से व कार्यालय के भीतर और बाहर से 35 से भी ज्यादा दलालों को हिरासत में लिया है। पकड़े गए इन सभी दलालो से पुलिस पुछताछ कर रही है।
दो दिनों की छुट्टी के बाद रोजाना की तरह आरटीओ कार्यालय खुला लेकिन कुछ ही देर में यहां का माहौल देखने लायक था। अपर जिलाधिकारी प्रशासन, एसपी सिटी, एसीएम, सीओ सदर, सीओ ब्रह्मपुरी, सीओ सिविल लाइन समेत छह थानों की फोर्स ने अचानक कार्यालय पर हल्ला बोल दिया। देखते ही देखते आरटीओ ऑफिस में अफरा तफरी मच गई। पुलिस के होमवर्क के सामने किसी की नहीं चली। कोई इधर भागा तो कोई उधर भागा। पुलिस और प्रशासन ने कार्यवाही करते हुए लगभग 35 लोगों को अपनी हिरासत में ले लिया।
छापेमारी करने पहुंचे एसीएम अरिंवद सिंह की मानें तो काफी समय से आरटीओ में दलालो की मनमानी की शिकायत जिलाधिकारी को मिल रही थी। जिलाधिकारी के आदेश के बाद रेकी कर उन सब दलालों को चिह्नित किया गया जो संगठित तरीके से काम रहे थे। वहीं पुलिस के मुताबिक ये कार्यवाही मुख्य रूप से दलालों का नेक्सेस तोड़ने के लिए की गई। जब छापेमारी की गई तो कुछ दलाल ऑफिस के अंदर बाबुओं के पास पाए गए। तो कुछ छापेमारी को देख भाग खड़े हुए।
इस सब को देख आरटीओ ममता शर्मा ने भी रंग बदलने में देर नहीं लगाई। उनके मुताबिक जो भी लोग चिह्नित किए गए थे वो उनके विभाग की लिस्ट के अनुसार है। इस कार्यवाही के बाद राहत महसूस की जा रही है। साथ ही ऐसी कार्यवाही हर महीने होती रहनी चाहिए। आपको बता दें कि जहां जिला प्रशासन और पुलिस ने इस बड़ी कार्यवाही को अंजाम दिया है। लेकिन काफी हद तक आरटीओ ममता शर्मा को इस बात का रंज है। कि छापेमारी उनको पूर्व सूचना के बगैर क्यों की गई। वहीं प्रशासन के पास अभी ऐसे 60 कर्मचारियों की एक लिस्ट है। जो इन दलालों के साथ मिली भगत करके काम करते है।