चमोली. उत्तराखण्ड के चमोली जिले में अगरआपके सामने फूलों की बात हो, तो आपके दिमाग में निश्चित तौर पर सीधे पर्यटक स्थल ‘वैली ऑफ फ्लावर’ ही आएगा. लेकिन अब चमोली उद्यान विभाग फूलों को किसानों से जोड़कर उनकी आमदनी बढ़ाने में जुटा है. इसके लिए 80 फीसदी सब्सिडी के साथ विभाग लीलियम फूल के बल्बों को बांट रहा है.चमोली जिले में फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए उद्यान विभाग द्वारा लीलियम की खेती के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है और जिले के 20 किसानों के 1200 वर्ग मीटर में पॉलीहाउस के अंतर्गत लगभग 25 हजार बल्बों का रोपण कार्य किया जा रहा है.
लीलियम ठंडी आबोहवा में उगने वाला एक बेहद खूबसूरत फूल है. ट्यूलिप के बाद लीलियम ही एकमात्र ऐसा पौधा है, जिसकी बहुत मांग है. मैदानी क्षेत्रों में मई-जून के महीने में लीलियम की मांग बहुत ज्यादा बढ़ जाती है लेकिन उत्पादन बहुत कम होने की वजह से पर्वतीय क्षेत्रों पर उगाए जाने वाले लीलियम को सही दाम मिल जाता है, जिससे कई किसानों की आमदनी में भी अच्छी खासी बढ़ोतरी हो जाती है. इसके अलावा विभाग द्वारा पॉलीहाउस के इतर खुले में फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए ग्लेडियोलस बल्ब का रोपण कार्य भी किया जा रहा है.
यह है लीलियम के औषधीय गुण
डॉ डिसूजा द्वारा बताया गया कि लीलियम प्रायः औषधीय जड़ी बूटियों की सूची में से एक है, जिसे आमतौर पर हिमालयन लिली के रूप में जाना जाता है. चिकित्सा के प्राचीन विज्ञान, आयुर्वेद ने सामान्य दुर्बलता, गठिया, रक्तस्राव विकार, बुखार, ब्रोंकाइटिस और ऐसे अन्य रोगों के इलाज के लिए क्षीरककोली के बल्बों के उपयोग की सिफारिश की है, जो मुख्य रूप से वात और पित्त दोष से संबंधित हैं.
सजावट के काम आता है लीलियम फूल
उद्यान अधिकारी तेजपाल सिंह ने बताया कि लीलियम का पौधा सजावट के काम आता है और मैदानी क्षेत्रों में हमेशा मांग में भी रहता है. इसके लिए अब हम किसानों को 80 फीसदी सब्सिडी के साथ लीलियम बल्बों का वितरण कर रहे हैं, जिससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी. साथ ही उन्होंने बताया कि फूल उग जाने के बाद विपणन के लिए किसानों की सहमति के आधार पर ही बॉन्ड के माध्यम से बाय बैक के आधार पर फूलों को किसानों से खरीदने का काम भी किया जाएगा.