बेदाग छवि के तेजतर्रार नेता हैं त्रिवेंद्र सिंह रावत

राष्ट्रीय स्वयं संघ की पृष्ठभूमि वाले उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बेदाग छवि वाले एक तेजतर्रार नेता के रूप में जाने जाते हैं। केवल उन्नीस वर्ष की उम्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक के रूप में अपना कैरियर शुरू करने वाले रावत ने दो साल के भीतर ही संघ के प्रचारक के रूप में कार्य करने का संकल्प लिया और 1985 में देहरादून महानगर के प्रचारक बने। वर्ष 1993 में वह भाजपा के संगठन मंत्री बनाये गए। इसके बाद वर्ष 1997 में उन्हें प्रदेश के संगठन मंत्री पद का दायित्व दिया गया और नौ नवंबर 2000 को उत्तराखंड के निर्माण के समय वह इसी पद की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। पृथक उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान भी उन्होंने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया जिसके चलते रावत को कई बार जेल भी जाना पड़ा।

मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के खैरासैंण गांव के निवासी रावत ने वर्ष 2002 में उत्तराखंड के पहले विधानसभा चुनावों में देहरादून जिले की डोइवाला सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। प्रदेश में बनी नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ विपक्षी दल के तौर पर भाजपा द्वारा किये गये आंदोलनों और विरोध प्रदर्शनों में भी रावत ने बढ़ चढ़ कर अपनी भागीदारी निभाई।

देहरादून-हरिद्वार और देहरादून- ऋषिकेश के बीच डोइवाला बैरिकेडिंग से गुजरने वाले वाहनों से अवैध चुंगी वसूले जाने का भी रावत ने खुलकर विरोध किया और अपने समर्थकों के साथ वहां धावा बोलते हुए बैरिकैडिंग को उखाड़ फेंका। रावत की इस मुहिम को भारी जनसमर्थन के साथ अपार सराहना भी मिली। रावत की इस मुहिम को उनके वर्ष 2007 में डोइवाला से दोबारा जीतने की एक प्रमुख वजह माना जाता है। रावत ने 14127 मतों के भारी अंतर से जीत दर्ज की थी।

भाजपा के सत्ता में आने के बाद भुवन चंद्र खंडूरी के नेतृत्व में बनी सरकार में रावत को कैबिनेट मंत्री बनाया गया और उन्हें कृषि, कृषि शिक्षा, कृषि विपणन, लघु सिंचाई तथा आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का जिम्मा दिया गया। कृषि मंत्रालय में उन्होंने कई सुधार किये जिनमें प्रमुख रूप से कृषि उत्पादन और विपणन :एपीएमसी: कानून बनाया जाना शामिल है।

वर्ष 2009 में खंडूरी के स्थान पर मुख्यमंत्री बनाये गये रमेश पोखरियाल निशंक के मंत्रिमंडल में भी रावत को कृषि तथा कृषि विपणन मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। हालांकि, वर्ष 2012 में उन्होंने अपना विधानसभा क्षेत्र बदल लिया और रायपुर से चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी उमेश शर्मा काउ के हाथों बहुत कम अंतर से पराजय का सामना करना पड़ा। इस बार के विधानसभा चुनावों में वह फिर अपने पुराने क्षेत्र डोइवाला लौटे और 24869 मतों से जीतकर विधायक बने।

सत्तावन वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के करीबियों में शुमार रावत को वर्ष 2013 में भाजपा का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया। उसके बाद, उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ उत्तर प्रदेश के सहप्रभारी की महत्वपूर्ण भूमिका भी निभायी और इस दौरान उत्तर प्रदेश से रिकार्ड 73 सीटें भाजपा के पक्ष में गईं। उनकी कार्यक्षमता से प्रभावित होकर अक्टूबर, 2014 में भाजपा अध्यक्ष शाह ने उन्हें झारखंड का प्रदेश प्रभारी बनाया और उन्होंने इस पद पर अपनी उपयोगिता साबित करते हुए उसी साल राज्य में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को पराजित कर भाजपा की सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाई।

झारखंड में प्रभारी रहने के दौरान रावत की भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से बढ़ी नजदीकियां और झारखंड चुनावों में पार्टी को मिली सफलता उन्हें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचाने में अहम साबित हुईं।

About न्यूज़ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

News Trust of India न्यूज़ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

Leave a Reply

Your email address will not be published.

ăn dặm kiểu NhậtResponsive WordPress Themenhà cấp 4 nông thônthời trang trẻ emgiày cao gótshop giày nữdownload wordpress pluginsmẫu biệt thự đẹpepichouseáo sơ mi nữhouse beautiful