इसी तरह से प्रदेश में मुख्य सूचना आयुक्त व सूचना आयुक्त के पद भी खाली हैं। यानी सूचना आयोग में इस समय अपील सुनने वाला कोई नहीं है। यही हाल हिमाचल प्रदेश राज्य निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग का है, जहां पर चेयरमैन व सदस्य के पद खाली हैं। फिलहाल लोकायुक्त की नियुक्ति भी नए कानून में उलझ गई है। हैरानी की बात है कि हिमाचल में फरवरी माह से कोई लोकायुक्त नहीं है। यही नहीं, अब इस पद के चयन की प्रक्रिया भी नए कानून में उलझ गई है। चिंता की बात ये है कि लोकायुक्त के चयन के लिए सरकार को 13 जून को निर्धारित की गई चयन समिति की बैठक भी कैंसिल करनी पड़ी है।
हिमाचल में लोकायुक्त को और अधिक शक्तियां देने के लिए राज्य सरकार ने दिसंबर 2014 में नया लोकायुक्त कानून पारित किया था। इसे जून 2015 में राष्ट्रपति से मंजूरी मिल गई थी। इस कानून में लोकायुक्त की शक्तियों को बढ़ाया गया है, लेकिन अभी तक नए एक्ट के मुताबिक नियम यानी रूल्स नहीं बने हैं। सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारियों के अनुसार ये रूल्स प्रक्रिया में हैं, लेकिन अभी नोटिफाई नहीं हुए हैं। वैसे तो सरकार ने लोकायुक्त पद के लिए एक नाम पर सहमति बना ली है, परंतु नियम न होने के कारण तकनीकी अड़चन आ रही है।
बताया जा रहा है कि सरकार ने जिस नाम पर सहमति बनाई है, नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल उस नाम पर शायद ही राजी हों। इसे देखते हुए सरकार ने 13 जून को तय की गई बैठक कैंसिल कर दी है। नए कानून के अनुसार चयन समिति में मुख्यमंत्री, चीफ जस्टिस, नेता प्रतिपक्ष और विधानसभा अध्यक्ष शामिल हैं। लोकायुक्त के पद के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस या हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ही पात्र हैं। ऐसे में हिमाचल सरकार के पास विकल्प भी कम हैं। हिमाचल से संबंध रखने वाले जस्टिस लोकेश्वर सिंह पांटा इस पद पर थे। वे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रहे हैं। फरवरी 2017 में वे अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। हिमाचल में लोकायुक्त एक्ट 2014 की धारा 7 में प्रावधान है कि चयन समिति इस पद को भरने के लिए एक पारदर्शी तरीका अपनाएगी। यानी इस पद को पहले विज्ञापित किया जाएगा।
हिमाचल सरकार ने अभी तक विज्ञापन जारी नहीं किया है। इसलिए ये भी एक तकनीकी अड़चन बन सकती है। लोकायुक्त के लिए देशभर से कोई भी आवेदन कर सकता है। कानून कहता है कि चयन में पारदर्शिता बनाने के लिए कमेटी अपना प्रोसीजर तैयार करेगी, जिस पर सबको भरोसा हो। परंतु अभी तक ये स्थितियां नहीं बन पाई हैं। लोकायुक्त के चयन में तो खैर तकनीकी अड़चन आ रही हैं, लेकिन सीआईसी का पद भी पिछले साल मार्च महीने से खाली हैं। एकमात्र सूचना आयुक्त केडी बातिश भी इसी हफ्ते बुधवार को सेवानिवृत हो चुके हैं। निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग की चेयरमैन सरोजिनी गंजू ठाकुर भी पिछले साल कार्यकाल पूरा कर चुकी हैं। सदस्य का पद भी मई महीने से खाली है।