(नीरज त्यागी )
लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण के बतौर वीसी सतेंद्र सिंह सरकार बदलते ही सुर्ख़ियों में रहे। जेपीएनआइसी, जनेश्वर मिश्र पार्क और पुराने लखनऊ में हुए सौन्दर्यकरण के कार्यों ने नाराज़ योगी के मंत्री इन पर खूब बरसे थे। ऐसे कई कारनामे पिछली सरकार में भी उभरे थे
लेकिन सत्ता के करीबी होने के चलते कोई करवाई नहीं हुई थी। एक बार फिर एलडीए से जाते जाते वे फिर एक कारनामा कर गए।
ट्रांसफर होने से पहले पूर्व उपाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने सीजी सिटी के पास विवादित डेवलपर्स की टाउनशिप के डीपीआर को मंजूरी दे दी। लगभग डेढ़ साल से लाइसेंस मिलने के बाद भी डीपीआर की फाइल अटकी हुई थी। 18 अप्रैल को तत्कालीन वीसी सत्येंद्र सिंह ने ट्रांसफर
आदेश जारी होते ही विवादित टाउनशिप की डीपीआर को स्वीकृति दे दी। अरिंदम शेखर गारमेंटस मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड की करोड़ों की जिस टाउनशिप को मंजूरी दी गई है उसकी जमीन विवादों में है। विधान समिति व शासन की आपत्ति के चलते अभी तक इसे मंजूरी
नहीं मिली थी।
एलडीए के पूर्व वीसी सत्येंद्र सिंह पर विवादित टाउनशिप की डीपीआर को स्वीकृति प्रदान करने के आरोप लग रहे हैं। जानकारों ने बताया कि शहीद पथ पर 200 एकड़ में इंटीग्रेटड टाउनशिप के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण ने अरिंदम शेखर गारमेंटस मार्केटिंग प्राइवेट
लिमिटेड को नवंबर 2015 में बोर्ड ने लाइसेंस दिया था। डेवलपर्स ने ग्राम माढरमऊकला, बक्कास और मस्तेमऊ में 200 एकड़ भूमि के सापेक्ष 100 एकड़ भूमि खरीदने का विवरण दिया था। टाउनशिप नीति के तहत कंपनी की डीपीआर की मंजूरी के लिए पहले भी एलडीए की बोर्ड बैठक में रखा जा चुका है। लेकिन विवादित मामला सामने आने पर डीपीआर को मंजूरी नहीं दी गई थी। लेकिन डेवलपर्स की ओर से डीपीआर की मंजूरी के लिए प्रयास किए जाते रहे। असल में एलडीए को अंधेरे में रखकर फर्जी तरीके से अरिंदम ने इंटीग्रेटड टाउनशिप का लाइसेंस ले लिया था। अरिंदम नाम से डेवलपर्स ने चक गंजरिया के पास जिस भूमि को डीपीआर में दिखाया है वह पहले से एल्डिको हाउसिंग एंड इंड्रस्टीज ने अवधेश कुमार श्रीवास्तव और धमेंद्र कुमार श्रीवास्तव से अनुबंधित कर रखी है। माढऱमऊकला की लगभग 6.0820 हेक्टेअर जमीन लिए जाने की जानकारी होने पर अवधेश ने तत्कालीन एलडीए सचिव श्रीचंद्र वर्मा से शिकायत की थी।
अवधेश ने बताया था कि वह गोरखपुर में रहता है वहां उसे भूमि डेवलपर्स के लेने संबंधी फोन आया। जबकि यह जमीन मई 2010 में एल्डिको के साथ अनुबंध है। इस संबंध में तत्कालीन सचिव ने जांच के आदेश दिए थे। उन्होंने जांच के बाद मामला सही होने पर लाइसेंस निरस्त करने का आश्वासन भी दिया था।
विधान परिषद की आपत्ति का नहीं हुआ असर
शिकायकर्ता के अनुसार एल्डिको ने जमीन को अन्य कंपनी में कंसोर्टियम बनाकर ट्रांसफर कर दिया। इसकी जानकारी होने पर इस मामले की शिकायत विधान परिषद से की गयी। उस समय परिषद के आदेश पर विधि परामर्शी एलडीए ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि एल्डिको हाउसिंग बिना अवधेश कुमार श्रीवास्तव और धमेंद्र कुमार श्रीवास्तव के लिखित सहमति भूमि कंसोर्टियम अनुबंध 14 अक्टूबर 2015 में शामिल करना विधि अनुरूप नहीं है। भूमि के बंटवारे का मुकदमा एसडीएम मोहनलालगंज के न्यायालय में लंबित है। इसकी सुनवाई 15 मई को होनी है।
इस मामले की शिकायत पर प्रमुख सचिव सदाकांत ने समिति को जवाब दिया है कि तीन डेवलपर्स के बीच का आंतरिक मामला है। आपस में मतभेद होने के चलते एलडीए को नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे। उस समय वीसी रहे सत्येंद्र सिंह के डीएम बनने के बाद वीसी रहे डॉ. अनूप यादव ने समिति को आश्वासन दिया था कि नियमों के अनुसार ही डीपीआर को मंजूरी प्रदान करेंगे। तब से डेवलपर्स की ओर से दबाव बनाते हुए डीपीआर की मंजूरी के लिए प्रयास किया जा रहा था। 18 अप्रैल को निर्वतमान वीसी सत्येंद्र सिंह ने जाते जाते करोड़ों की इस टाउनशिप की डीपीआर पर मुहर लगा दी।
नाम परिवर्तन रोकने और जांच की मांग
डीपीआर को मंजूरी मिलने के बाद डेवलपर्स अरिंदम शेखर गारमेंट्स मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड ने नाम परिवर्तन के लिए आवेदन किया है। एलडीए के हाइटेक और इंटीग्रेटड टाउनशिप सेल के अधिशासी अभियंता आरडी वर्मा की ओर से नाम पर आपत्ति मांगी गई है। डेवलपर्स ने कंपनी का नाम पिनटेल रियल्टी डेपलपर्स प्रा. लि. करने के लिए आवेदन किया है। इस पर गोरखपुर निवासी और जमीन के एक हिस्से के मालिक अवधेश कुमार श्रीवास्तव ने मंडलायुक्त से आपत्ति करते हुए जांच होने तक नाम परिवर्तन न किए जाने की मांग की है। वहीं निवर्तमान वीसी के अनियमित रूप से किए गए आदेश को निरस्त करने का अनुरोध किया है।
-एलडीए वीसी के अहम पद पर रहते हुए सतेंद्र सिंह ने गोमतीनगर एक्सटेंशन के 3400 करोड़ के 42 प्लॉटों को समायोजन के नाम पर रसूखदारों को कुल 120 करोड़ में दिए थे। खुद एलडीए कर्मचारी संघ भी इनपर घोटाले का आरोप लगा चुका है।
-इन पर अपने घर में मोबाइल टावर और बैंक चलाने जैसे आरोप लग चुके हैं। मीडिया की नज़र पड़ने के बाद बैंक बन्द हुआ।
-रिहायशी क्षेत्रों में प्लॉटों का लैंडयूज बदल कर कमर्शियल करने तक का प्रस्ताव इन्ही के कार्यकाल में एलडीए बोर्ड पहुंचा। **
-समाजवादी पार्टी से विधायक रामपाल यादव का लखनऊ में अवैध निर्माण तोड़ने के लिए जब एलडीए का दस्ता पहुंचा था तो विधायक के गुर्गों ने एलडीए दस्ते को रोका। उस समय भी सत्येंद्र सिंह अपने तत्कालीन सचिव श्रीश चंद्र वर्मा को छोड़़कर, रेलिंग कूद भाग गए थे।
– बतौर जिला अधिकारी शुरक्षा की दृष्टि से भी बड़ी लापरवाही की थी। गोपनीय मॉकड्रिल में 150 यात्रियों को ले जा रहे विमान के हाईजैक होने की सूचना करीब शाम 4-23 पर फ़्लैश की गयी थी। आनन फानन में सूचना डीएम को दिए जाने के लिए उन्हें एयरपोर्ट
अधिकारियों द्वारा कॉल किया गया लेकिन उनका फ़ोन नहीं उठा। ऑफिस के लैंडलाइन पर कॉल कर स्टाफ को घटना की जानकारी दिए जाने के बाद भी 20 मं बाद सतेंद्र सिंह ने एयरपोर्ट अधिकारियों से बात की थी। उसके बाद भी न वे खुद गए और न किसी प्रतिनिधि को भेजा।