आगरा। जिस यमुना में आठ महीने पानी रहता था, वो यमुना आज इतने ही महीने सूखी रहती है। इसके साथ ही यमुना लगातार मैली भी होती जा रही है। मैली यमुना को साफ करने के लिए यमुना एक्शन प्लान बनाया गया, लेकिन वो कारगर साबित नहीं हो सका। इससे पहले
चार हजार करोड़ का एक प्लॉन तैयार किया गया, जो फाइलों में ही दबकर रह गया। नाला मास्टर प्लान कहां है, किसी को भी इसकी भनक नहीं है।
फाइलों में धूल फांक रहा
पत्रिका घोटालों को उजागर करने के लिए अभियान चला रहा है। हमारा प्रयास है कि शहर की जनता वो सच जान सके, जो फाइलों में धूल फांक रहा है। पत्रिका टीम ने आगरा में मास्टर प्लान पर तहकीकात की। इसके तहत जब पड़ताल हुई, तो सामने आया कि किसी जमाने में नाला मास्टर प्लान बनाया गया था। ये प्लान करीब चार हजार करोड़ रुपये का था, लेकिन कभी अमलीजामा नहीं पहन सका।
क्या था नाला मास्टर प्लान
नाला मास्टर प्लान के तहत घर से निकलने वाले पानी को यमुना में जाने से रोकना था। इसके साथ ही उस पानी का ट्रीटमेंट कर उसका अन्य स्थानों पर इस्तेमाल करना था। लेकिन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लान में नाला मास्टर प्लान दबकर रह गया। जल निगम ने सीवर और नालों का प्लॉन बनाया, जिसमें नालों को टेपकर सीवर में मिला दिया गया। नाले साफ नहीं हो सके और सीवर से उन्हें जोड़ दिया गया।
कतराते हैं अधिकारी
कैमरे के सामने अधिकारी इस मामले में बोलने से कतराते हैं। लेकिन, आफ कैमरा बताते हैं कि चार हजार करोड़ का ये प्लान उस समय बना था, जब कागजों पर सारे काम हुआ करते थे। इसमें आने वाला बजट कहां गया, कितना इस्तेमाल हुआ। आज किसी को इसकी जानकारी नहीं है। वे अधिकारी अब कहां होंगे, जो इस प्लान का हिस्सा थे।
सीधे गिर रहे नाले
यमुना में आज भी नाले सीधे गिर रहे हैं। इन नालों को रोकने के लिए जल निगम, नगर निगम, जल संस्थान किसी ने भी कोई प्रयास नहीं किया।
यहां बने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लान और नाले
बता दें कि आगरा में पंपिंग स्टेशनों की संख्या 28 है। वहीं धांधूपुरा, पीलाखार, बूढ़ी का नगला, बिचपुरी नहर, खैराती टोला, दोहतरा नहर पर एसटीपी बनाए गए हैं। यहां शहर के सीवर के पानी को ट्रीटमेंट करने का काम होता है। वहीं नालों में मंटोला, ढोली खार, जीवनी मंडी, अशोक नगर, सेक्टर आठ, सदर, बलकेश्वर, वाटर वक्र्स सहित ऐसे 32 बड़े नाले है।
नाले और सीवर में फर्क
विशेषज्ञ बताते हैं कि मास्टर प्लान के तहत काम करने वालों ने नालों को टेप कर सीवर से जोड़ दिया। जबकि नालों के लिए अलग से मास्टर प्लान था। नाले में घरों का पानी बहता है और कचरा भी इसमें शामिल होता है। जबकि सीवर में मल, मूत्र अपशिष्ट पदार्थ। ऐसे में सीवर के साथ नालों को जोड़ने पर ट्रीटमेंट प्लान पर असर पड़ता है। जिसके चलते सारी योजनाएं फेल साबित होती हैं।