उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में बड़ा भूकंप आने की सूचना अब समय से पहले मिल सकेगी. राज्य सरकार ने भूकंप पूर्व चेतावनी सिस्टम को समूचे उत्तराखंड में लगाने की मंजूरी दे दी है. ये काम आईआईटी रुड़की को सौंपा गया है. गढ़वाल में 100 जगहों पर एस्लोग्राफ लगने के बाद अब कुमायूं मंडल में भी भूकंप के लिहाज से संवेदनशील 86 जगहों पर एस्लोग्राफ लगाये जाएंगे. राज्य सरकार ने इस योजना को एक वर्ष के लिए बढ़ाते हुए इस मद में तकरीबन 3 करोड़ रुपये आईआईटी रुड़की के डायरेक्टर को देने के आदेश कर दिए हैं.
इस सिस्टम से पहाड़ी क्षेत्रों में उत्तरकाशी और चमोली की तरह बड़ी तीव्रता वाले भूकंप की चेतावनी समय से पहले मिल सकेगी. इसके साथ ही भूकंप पूर्व चेतावनी सिस्टम को पूरे राज्य में लागू करने वाला उत्तराखंड देश का सबसे पहला राज्य बन जाएगा. हालांकि गढ़वाल में एस्लोग्राफ लगे होने के बावजूद इस साल फरवरी में रुद्रप्रयाग जिले में आये भूकंप की पूर्व सूचना ना मिलने पर इस तकनीक की विश्वसनीयता पर सवाल उठे थे. लेकिन योजना से जुड़े तकनीकी जानकारों का कहना है कि इस सिस्टम से केवल रिक्टर स्केल पर 6 या 6 से अधिक तीव्रता वाले भूकंप की ही चेतावनी मिल सकेगी. इससे जुड़े इंजीनियरों के मुताबिक भूकंप की तरंग एक सेकेंड में तीन से पांच किमी की दूरी तय करती है जबकि इलेक्ट्रॉनिक वेव की रफ्तार इससे सौ गुना अधिक है. यानी भूकंप का केंद्र जितना ज्यादा दूर होगा भूकंप पूर्व सूचना का समय भी उतना ही ज्यादा होता जायेगा.
आईआईटी रुड़की की सभी इमारतों की तरह भूकंप पूर्व सूचना प्रणाली के साथ सायरन जोड़े जाएंगे ताकि खतरे की स्थिति में ये बज उठें. ये सूचना मोबाइल में एसएमएस के जरिये भी भेजी जा सकती है. आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इस सूचना तंत्र से लोगों को समय रहते भूकंप के प्रति सचेत करने में मदद मिलेगी.