आय से अधिक संपत्ति के मामले में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है. सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में गिरफ्तार किए गए इकलौते शख्स एलआईसी एजेंट आनंद चौहान की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. आंनद की जमानत खारिज होने का सीधा मतलब ये है कि आगे वीरभद्र को भी कोर्ट से रिलीफ मिलने की उम्मीद कम है. आपको याद दिला दें कि ईडी ने हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के करीबी एलआईसी एजेंट आनंद चौहान को पिछले साल जुलाई में गिरफ्तार किया था.
इस बीच ईडी ने भी वीरभद्र को 13 अप्रैल को पेश होने के लिए सम्मन किया है. उम्मीद है कि ईडी के इस आदेश को वीरभद्र सिंह कोर्ट में चुनौती जरुर देंगे क्योंकि मुमकिन है कि उन्हें खतरा हो कि ईडी पूछताछ के दौरान उन्हें गिरफ्तार न कर लें. इससे पहले 31 मार्च को दिल्ली हाई कोर्ट वीरभद्र सिंह की उस याचिका को भी खारिज कर चुका है जिसमें सीबीआई की एफआईआर रद्द करने की गुहार लगाई थी. लेकिन कोर्ट ने साफ कर दिया कि आरोपी ये खुद तय नहीं कर सकता है कि उसके खिलाफ केस लोकल पुलिस दर्ज करे या फिर सीबीआई. वीरभद्र सिंह के खिलाफ सीबीआई ने सितंबर 2015 में आय से अधिक संम्पत्ति और भ्रष्टाचार के मामले में केस दर्ज किया था.
इससे पहले हिमाचल हाई कोर्ट ने एक अक्तूबर 2015 को अपने अंतरिम आदेश में सिंह की गिरफ्तारी, पूछताछ करने और चार्ज शीट दायर करने पर रोक लगा दी थी. उस आदेश में कहा गया था कि ऐसा करने के लिए एजेंसी को कोर्ट की इजाजत लेनी होगी. बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केस को दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया. हाई कोर्ट से आए इस आदेश के कुछ घंटे बाद ही सीबीआई ने इस मामले में पटियाला हाउस कोर्ट में वीरभद्र सिंह के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल कर दी थी. पटियाला हाउस कोर्ट सीबीआई की चार्जशीट पर अब 20 अप्रैल को संज्ञान लेगा.