गाजियाबाद। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में पिछले काफी समय घोटालों की शिकायत मिल रही थी। जिसके बाद कैग से जांच कराए जाने की बात सामने आयी लेकिन पिछली सरकार में इसकी परमिशन ना मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी रैली के दौरान ही यह घोषणा कर दी थी कि यदि उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो सबसे पहले जीडीए की जांच कैग के द्वारा कराई जाएगी।
आखिर उत्तर प्रदेश में सरकार भाजपा की आयी और जीडीए की जांच के लिए कैग की टीम गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में पहुंच गई और करीब एक हफ्ते से कैग की टीम पिछले करीब 10 साल पुराने सभी दस्तावेज खंगाल रही है। आजकल कैग के द्वारा जांच की जा रही है और
अभी तक कैग टीम ने इंजीनियरिंग सेक्शन समेत करीब 57 बड़े प्रोजेक्ट को अपने निशाने पर लिया है। इसमें निशाने पर आए सबसे पहले सबसे बड़ा टेंडर यूपी गेट से राजनगर एक्सटेंशन तक बनी एलिवेटिड रोड का है। जो 916 करोड़ रुपये और सबसे छोटा टेंडर 56 लाख रुपये का है।
वहीं इसके अलावा मधुबन बापूधाम योजना में बने फ्लैटों व सड़क निर्माण आरडीसी में हुए सौंदर्यीकरण समेत तमाम प्रोजेक्टों का पूरा ब्यौरा कैग ने तलब किया है। एक दिन पहले जीडीए के सभी अनुभागों ने अपनी अपनी फाइलों की सूची कैग टीम को सौंप दी थी। जिसमें से
अभी कैग ने इंजिनियरिंग सेक्शन के 57 बड़े प्रोजेक्टों को चिन्हित किया है। उनकी सभी फाइलें तलब कर ली हैं। जिनका टेंडर और वर्क ऑडर 2011 से 2015, 16 के बीच हुआ है। इस ब्यौरे में टीम ने प्रोजेक्ट के एवज में जीडीए द्वारा किए बांड और उसके द्वारा रिलीज की गई पेमेंट के सभी सिड्यूल की जानकारी मांगी है।
एजी ऑडिट की डिमांड पर जीडीए के वित्त नियंत्रक टी आर यादव ने चीफ इंजीनियर को लेटर लिखकर फाइलें उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए थे। जीडीए के चीफ इंजीनियर सुशील चंद ने बताया कि कैग टीम की डिमांड पर फाइलें उपलब्ध कराई जा रही हैं। इतना ही नहीं इनमें से कुछ ही प्रोजेक्टों को छोड़कर लगभग सभी प्रोजेक्टों पर काम पूरा हो चुका है। कैग टीम ने पूरे किए गए सभी कामों की फाइलें मंगाने का मकसद यह है कि लेटलतीफी की आड़ में इनकी बेतुकी पेमेंट तो नहीं की गई है। अभी जांच जारी है कैग टीम अपनी तत्परता से जांच कर रही है लेकिन यह तय है कि कैग द्वारा की जा रही इस जांच में कई बड़े अधिकारी भी नप सकते हैं।