मध्य प्रदेश के इंदौर दलित समुदाय की अगवा नाबालिग लड़की को हवस की शिकार बनाए जाने के बाद 70 हजार रुपये में उसकी खरीद-फरोख्त के मामले में विशेष अदालत ने यहां शिक्षक समेत दो लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. इस मामले में तीन आरोपी शंभू, भेरूसिंह और दुलेसिंह पुलिस की गिरफ्त से अब तक बाहर हैं.
विशेष न्यायाधीश रेणुका कंचन ने अरुण गिरि और मनोज शर्मा को आईपीसी की धारा 363, 370 (4), 372 और 376 के साथ अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी करार देते हुए यह सजा सुनाई है. दोनों पर जुर्म साबित करने के लिये अभियोजन पक्ष ने अदालत में 15 गवाह पेश किए हैं.
विशेष लोक अभियोजक विशाल आनंद श्रीवास्तव ने बताया कि शहर के एक निजी स्कूल के शिक्षक अरुण गिरि ने शादी का झांसा देकर सहकर्मी नाबालिग लड़की को बाणगंगा क्षेत्र से 15 सितंबर 2012 को अगवा किया. इसके बाद उसे एक घर में रखकर उसके साथ रेप किया. इतने से भी मन नहीं भरा तो दरिंदे लड़की को बेंच दिया.
उन्होंने बताया कि अरुण गिरि ने अगले ही दिन दलित समुदाय की लड़की को अपने तीन साथियों शंभू, भेरूसिंह और दुलेसिंह के हवाले कर दिया. उन्होंने राजस्थान ले जाकर उसके साथ गैंगरेप किया. इसके बाद में तीनों ने लड़की को मंदसौर जिले में रहने वाले मनोज शर्मा को 70 हजार रुपये में बेच दिया और फरार हो गए.
बताया जाता है कि मनोज शर्मा के घर रहने के दौरान पीड़ित लड़की ने खाना-पीना छोड़ दिया. उसके दुख को देखकर मनोज की मां दुखी हो गई. उसने उसकी आपबीती थाने में जाकर बता दी. पुलिस को मानव तस्करी के बारे में सूचना दी. इस पर पुलिस ने पीड़ित लड़की को मनोज शर्मा के घर से छुड़ाया. इसके बाद केस दर्ज हुआ.