चारधाम यात्रा और प्राकृतिक आपदा के लिहाज से अति संवेदनशील चमोली जिले की स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे ही चल रही है. डॉक्टरों के आभाव में जहां अधिकांश हॉस्पिटल रेफर सेंटर बनकर रह गए हैं, वहीं जहां डॉक्टर हैं भी तो उन्हें खोजना पड़ रहा है. चमोली के जिला अस्पताल में जहां जब यह इलाका उत्तर प्रदेश के साथ था तब पर्याप्त डॉक्टर होते थे. उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद से यहां डॉक्टरों की संख्या बढ़ने के बजाय घटता जा रहा है.
अब जिले में जिस तरह से स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल हो गई है उसको देखते हुए बुजुर्ग कहने लगे हैं कि इससे भले तो यूपी में ही थे. राज्य बनने के बाद पहाड़ों का विकास कम, नेताओं का विकास ज्यादा हुआ है. जिले में 170 डॉक्टरों के पद सृजित हैं मगर वर्तमान में महज 41 डॉक्टर ही काम कर रहे हैं . हैरानी वाली बात की जो यहां तैनात हुए उनमे से भी अनुपस्थित चल रहे हैं.
जब उत्तराखंड राज्य की स्थापना हुई, तब हर आदमी के मन में आस जगी थी कि अब लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी और उन्हें बाहर नहीं दौड़ना पड़ेगा लेकिन हुआ उलट. जिन जनप्रतिनिधियो को राज्य की कमान दी गई वे यहां आधुनिक स्वास्थ्य सुविधा की व्यवस्था करना तो दूर एक अदद डॉक्टर नहीं ला पाए, जिससे लाचार जनता बेहतर स्वास्थ्य के आभाव में देहरादून व दिल्ली के प्राइवेट अस्पतालों के चक्कर काटने के लिए मजबूर हो रही है.