बम्बई उच्च न्यायालय ने वित्तीय अनियमितता के आरोप में 20 साल पहले बर्खास्त किए जा चुके एक बैंक कर्मचारी को ग्रैच्युटी का भुगतान करने का आदेश दिया है। नन्नूभाई देसाई बनाम यूको बैंक मामले में न्यायालय ने कहा है कि बैंक ने बर्खास्तगी के पहले कर्मचारी को कोई कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया था और उसके खिलाफ र्को फौजदारी या दीवानी मामला भी नहीं दर्ज किया गया था। जहां तक ग्रैच्युटी का सवाल है तो ग्रैच्युटी भुगतान अधिनियम एक कल्याणकारी कानून है और नियोक्ता के पास ग्रैच्युटी रोकने का कोई अधिकार नहीं है। न्यायालय का कहना है कि ग्रैच्युटी राशि जब्त करने के गंभीर नतीजे होते हैं और इस तरह का कोई भी आदेश अद्र्ध-न्यायिक आदेश माना जाएगा। ऐसा कोई भी आदेश जारी करते समय प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का ध्यान रखते हुए निष्पक्ष सुनवाई का पर्याप्त मौका देना होगा।
