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ग्रीस में वित्तीय संकट के चलते संतान पैदा करने से तौबा

वर्षों से वित्तीय संकट से जूझ रहे ग्रीस में लोग बेहद तंगी में जीवन बिता रहे हैं। बेरोजगारी लगातार बढ़ी है और ग्रीस में लागू वित्तीय सादगी के कायदों के कारण यहां के निवासियों की जीवनशैली ही बदल गई है। अधिकतर लोगों का बस जैसे-तैसे गुजारा हो रहा है।

ग्रीस को मिली अरबों रुपए की मदद के बावजूद अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आ रही। वहां गरीबी की दर दोगुनी हो गई है। लोग अपनी आम जरूरतों के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। तीन-तीन बेलआऊट पैकेजों के बाद भी ग्रीस बेहाल है। इसी के परिणामस्वरूप बुजुर्गों की पैंशन में भी भारी कटौती कर दी गई है। यहां तक कि अधिकतर जोड़े अब केवल एक ही संतान से संतुष्ट होने लगे हैं। ऐेसे में जिन जोड़ों ने प्रजनन क्लीनिकों में अपने अंडाणु या भ्रूण भविष्य में अपने परिवार बढ़ाने की आशा में संरक्षित करवाए थे, वे अब क्लीनिकों से उन्हें नष्ट करने को कह रहे हैं। लोगों का कहना है कि वे एक से ज्यादा या फिर एक भी बच्चे को पालने का खर्च बर्दाश्त नहीं कर सकते।

ग्रीस के एक प्रमुख इनविट्रो फर्टीलाइजेशन सैंटर की निदेशक मास्त्रोमिनास के अनुसार, ‘‘8 वर्ष की आर्थिक मंदी के बाद वे दुखी हृदय से दोबारा माता-पिता बनने के अपने सपने को हमेशा के लिए त्याग रहे हैं।’’ लम्बे समय से कम विकास, उच्च बेरोजगारी दर, अनिश्चित कार्य अवसरों और वित्तीय तनाव को झेल रहे जोड़े एक ही बच्चे के माता-पिता बनने या बच्चे पैदा ही न करने का दर्द भरा फैसला ले रहे हैं। यह एशियाई देशों से बिल्कुल विपरीत हैं, जहां माता-पिता के पास चाहे खाने-पीने को भी न हो, बच्चे पैदा करते चले जाते हैं क्योंकि वे उनके जीवन स्तर या शिक्षा के बारे में नहीं सोचते बल्कि उन्हें कमाऊ हाथ समझते हैं।

इस घटनाक्रम के परिणामस्वरूप ग्रीस, स्पेन और इटली में 1970 के दशक में पैदा हुई लगभग पांच में से एक महिला के नि:संतान रह जाने की सम्भावना है। प्रथम विश्व युद्ध के बाद भी हालात इतने खराब नहीं थे। हजारों युवा समृद्ध देशों को प्रवास कर चुके हैं जिनके अर्थव्यवस्था में बड़ा सुधार न होने तक लौटने के भी आसार नहीं हैं। इन हालात को क्षेत्र में जनसांख्यिकीय आपदा के रूप में देखा जा रहा है। यूरोस्टैट के अनुसार जनसंख्या विकास को स्थिर रखने के लिए 2.1 की जन्मदर आवश्यक है परंतु वर्तमान दर इससे कहीं कम है।

एथेंस में एक मतदान सर्वेक्षक 43 वर्षीय मारिया कराकलियोमी ने यह सोच कर बच्चे पैदा करने का विचार त्याग दिया कि वर्तमान हालात में वह अपने बच्चों को वैसा जीवनस्तर नहीं दे सकेगी जैसा उसे अपने माता-पिता से मिला था। उसकी बहन की भी एक ही बच्ची है। मारिया जानती है कि उसकी उम्र में उसकी दादी के 5 पोते-पोती थे। वहां महिलाओं में बेरोजगारी की दर 27 प्रतिशत तथा पुरुषों में 20 प्रतिशत है। वह कहती हैं, ‘‘मुझे नहीं पता कि 2 महीने या साल बाद मेरी यह नौकरी रहेगी भी या नहीं।’’ हालात में महत्वपूर्ण सुधार के अभाव में यह क्षेत्र दुनिया के कुछ सबसे कम जन्म दर वाले इलाकों में शामिल होता जा रहा है।

जाहिर है कि इससे पैंशन और वैल्फेयर सिस्टम्स पर भी दबाव बढ़ेगा। इससे विकास की गति और कम होगी क्योंकि कम होते कार्यबल के साथ यह देश शेष यूरोप और दुनिया के साथ भला किस तरह प्रतिस्पर्धा कर सकेगा। जन्म दरों में और कमी आ रही है क्योंकि वित्तीय संकट की वजह से संकटग्रस्त देशों के लिए पारिवारिक सहायता कार्यक्रमों में योगदान देना भी कठिन हो गया है। फ्रांस में दूसरे बच्चे के जन्म के बाद प्रति संतान 130 यूरो मासिक मदद दी जाती है जबकि ग्रीस में यह केवल 40 यूरो है। यूरोपीय संघ में इस वक्त ग्रीस ही सबसे कम पारिवारिक व संतान सहायता दे रहा है।

जाहिर है कि करीब 8 वर्ष के आर्थिक संकट के बाद सुधार के लिए संघर्षरत ग्रीस सरकार जन्मदर में कमी को सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं बना सकती। यूरोपीय संसद के अनुसार वित्तीय संकट के इस दौर में ग्रीस में लैंगिक समानता का क्षरण हुआ है।

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