ग्रेटर नोएडा. योगी सरकार के यूपी की डेवलपमेंट अथॉरिटी के खिलाफ नजर टेढी करने के चलते पिछली सरकारों के कार्यकाल में बिल्डर्स को फायदा पहुंचाने वाले अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। बॉयर्स की मानें तो ग्रेनो अथॉरिटी के अफसरों ने बिल्डर्स को अंडर टेबल
रिश्वत लेकर फायदा पहुंचाया है। बॉयर्स की मांग के बावजूद भी अथॉरिटी ने बिल्डर्स का आॅडिट कराने की जहमत नहीं उठाई। बॉयर्स की मानें तो बिल्डर्स आॅडिट होने पर अथॉरिटी अफसर कटघरे में खड़े हो सकते हैं। यहां तक की बॉयर्स आॅडिट कराने को लेकर हाईकोर्ट का
दरवाजा भी खटखटा चुके हैं।
योगी सरकार ने अथॉरिटी का आॅडिट कराने का फैसला लिया है। अगर आॅडिट होता है तो अथॉरिटी अफसर भी नप सकते हैं। बिल्डर्स और अथॉरिटी का आॅडिट कराने की मांग कर बॉयर सुमित ने बताया कि रिश्वत के खेल के चलते आॅडिट कराने को तैयार नही हैं। कोर्ट में आॅडिट
करने की मांग को लेकर केस चल रहा है। अथॉरिटी खुद उसके विरोध मेंं खड़ी हुई है। उन्होंने बताया कि आॅडिट होता है, यादव सिंह जैसे कई और अफसर फंस जाएंगे।
नेफोवा की महासचिव स्वेता भारती ने बताया कि ग्रेनो वेस्ट के 8 बिल्डर्स ने नियमोंं को ताक पर रखकर एफएआर बढ़ा दिया है। शिकायत करने के बाद भी अथॉरिटी अफसरों ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने बताया कि अथॉरिटी और बिल्डर्स की मिलीभगत के चलते बॉयर्स
की कोई सुनने को तैयार नही है। उन्होंने बताया कि कोई कार्रवाई न होने पर कोर्ट की शरण लेनी पड़ी है।
नेफोवा की महासचिव स्वेता भारती ने बताया कि अथॉरिटी शुरुआत से ही बिल्डर्स पर मेहरबान रही है। अंडर टेबल रुपये लेकर अथॉरिटी अफसरों ने एफएआर तक बढ़ा दिया। बिल्डर्स को 40 प्रतिशत जमीन पर ग्रीनरी डेवलप करनी होती है, लेकिन सपा सरकार में बिल्डर्स को
फायदा पहुंचाने के लिए एफएआर बढ़ा दिया। जिसकी वजह से अब बिल्डर ग्रीनरी कम डेवलप करते हैं, जबकि फ्लैट ज्यादा जगह पर बना रहे हैं।
लैंड अलॉटमेंट करने के बाद अथॉरिटी बिल्डर्स से जमीन की किस्त लेती है, लेकिन कई बिल्डर्स ऐसे हैं, जिन्होंने पिछले 10 साल से किस्त ही जमा नहीं की है। कभी अथॉरिटी ने बिल्डर्स से किस्त वसूलने को लेकर दवाब भी नहीं डाला। बॉयर रोहित ने बताया कि बिल्डर्स से
अथॉरिटी किस्त भी नहीं वसूल रही, साथ ही ये बैंक से भी लोन लेते हैं और बॉयर्स से लगभग 90 प्रतिशत तक फ्लैट की कीमत ले चुके हैं। उसके बाद भी तय समय में पजेशन नही दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि बिल्डर्स और अथॉरिटी अफसरों की मिलीभगत के चलते घालमेल हो रहा हैं। पिछली सरकारों में बिल्डर्स के खिलाफ कोई एक्शन तक नहीं लिया गया है।