मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि 2009 से लेकर 2017 तक मुख्यमंत्री राहत कोष से किन उद्देश्य के लिए निधि खर्च की गई है। हाईकोर्ट ने सरकार को दो सप्ताह के भीतर यह ब्यौरा पेश करने का निर्देश दिया है। वहीं कोर्ट ने सरकार ने पूछा कि शिवाजी के स्मारक के लिए पैसों का इंतजाम कहां से होगा। सरकार इसके उद्घाटन में ही 77 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है।
मुख्य न्यायाधीश मंजूला चिल्लूर व न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने पब्लिक कंसर्न फार गवर्नेंस ट्रस्ट की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिका में दावा किया गया है कि मुख्यमंत्री राहत कोष की निधि प्राकृतिक आपदा व सूखे की स्थिति से निपटने के लिए ही किया जा सकता है किंतु सरकार इस निधि का उपयोग सांस्कृतिक कार्यक्रमों व दूसरे कार्यक्रम के लिए कर रही है। जो नियमों के खिलाफ है।
सुनवाई के दौरान ट्रस्ट की ओर से पैरवी कर रही वकील सोमा सिंह ने कहा कि लावणी व खेल से जुड़ी गतिविधियों के लिए भी मुख्यमंत्री राहतकोष की निधि का इस्तेमाल किया जाता है, जो कि नियमों के खिलाफ है।
दूसरे उद्देश्य के लिए अलग से बनाएं कोष
यदि सरकार दसरे उद्देश्य के लिए निधि देना चाहती ह तो उसके लिए अलग से कोष बनाए। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि 2009 से अब तक मुख्यमंत्री राहत कोष की निधि का इस्तेमाल किन उद्शदे्यों के लिए किया गया है? इसको लेकर 80 जी के तहत आयकर में राहत के लिए आवेदन भी किया गया है।
यदि सरकार दसरे उद्देश्य के लिए निधि देना चाहती ह तो उसके लिए अलग से कोष बनाए। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि 2009 से अब तक मुख्यमंत्री राहत कोष की निधि का इस्तेमाल किन उद्शदे्यों के लिए किया गया है? इसको लेकर 80 जी के तहत आयकर में राहत के लिए आवेदन भी किया गया है।
छत्रपति शिवाजी स्मारक बनाने कहां से आएगी राशि : हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सरकार से सवाल करते हए जानना चाहा है कि अरब सागर में बनने वाले प्रस्तावित छत्रपति शिवाजी महराज के स्मारक के निर्माण में खर्च होनेवाली निधि का इतजाम कहां से होने वाला है।
मख्य न्यायधीश मंजूला चिल्लूर व न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने सरकार को तीन हफ्ते के भीतर इस मामले में जवाब देने का निर्शदे दिया है। खंडपीठ ने यह निर्शदे प्रोफेसर मोहन भिड़े की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिया।
याचिका में कहा गया है कि राज्य पर पहले से करोड़ा रुपए का कर्ज है, ऐसे में सरकार की ओर से 36 सौ करोड़ रुपए के प्रस्तावित स्मारक के लिए निधि कहां से आएगी इसका कोई जिक्र नहीं किया गया है।
सरकार ने सिर्फ स्मारक के उद्घाटन में 77 करोड़ रुपए किए खर्च
सरकार किलों के सरंक्षण को लेकर उतनी चितिंत नहीं, जितना शिवाजी महाराज के स्मारक को लेकर उत्साहित है। उन्होंने कहा कि स्मारक के निर्माण में खर्च की जानेवाली निधि को अस्पताल के निर्माण और शक्षैणिक संस्थान बनाने के लिए किया जा सकता है। सरकार ने सिर्फ स्मारक के उद्घाटन में 77 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने सरकार को याचिका में स्मारक को लेकर उठाए गए सभी मुद्दों का हलफनामे में जवाब देने का निर्देश दिया।
सरकार किलों के सरंक्षण को लेकर उतनी चितिंत नहीं, जितना शिवाजी महाराज के स्मारक को लेकर उत्साहित है। उन्होंने कहा कि स्मारक के निर्माण में खर्च की जानेवाली निधि को अस्पताल के निर्माण और शक्षैणिक संस्थान बनाने के लिए किया जा सकता है। सरकार ने सिर्फ स्मारक के उद्घाटन में 77 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने सरकार को याचिका में स्मारक को लेकर उठाए गए सभी मुद्दों का हलफनामे में जवाब देने का निर्देश दिया।