सुरेश भारद्वाज ने कहा कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में किए जा रहे अधिकारियों और कर्मचारियों के अधिकांश तबादले पहले से ही राज्य सरकार के विचाराधीन थे और इन तबादलों पर प्रशासनिक व नीतिगत औपचारिकताओं से संबंधी प्रक्रिया को पूरा करने के उपरांत ही फैसला लिया गया है। तबादलों के लिये मुख्यमंत्री की अनुसंशा प्राप्त की जा रही है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार द्वारा किए गए कर्मचारियों के अंधाधुंध तबादलों से कर्मचारियों को जो दिक्कतें आई, उन्हें दूर करना व समाधान करना राज्य सरकार का दायित्व है।
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश के जनजातीय, सब-कैडर व कठिन क्षेत्रों में कार्य कर रहे कर्मचारियों का सेवाकाल पूरा होना, चिकित्सा आपात व अन्य प्रकार के मानवीय आधार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और ऐसे में कर्मचारी के तबादले पर फैसला लेना जरुरी हो जाता है। यही नहीं, एक ही स्थान पर कई वर्षों से कार्यरत अधिकारियों का तबादला करना प्रशासनिक आवश्यकता है और जनहित में अनिवार्य भी है। इसके अलावा, सेवानिवृति की दहलीज़ पर अधिकारियों/कर्मचारियों को यथासंभव उनके जिले में रिक्त पद पर समीपवर्ती स्टेशन उपलब्ध करवाना तथा दंपति मामले में तबादलों पर सकारात्मक रवैया अपनाना भी दिशा-निर्देशों व नीति का हिस्सा है।
सुरेश भारद्वाज ने कहा कि पिछली सरकार के समय में भी ऐसा होता रहा है और बेवजह इस मुद्दे को उछालना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का लक्ष्य राज्य का विकास और लोगों का कल्याण सुनिश्चित बनाना है। उन्होंने कांग्रेस के नेताओं को सलाह दी है कि वे बेबुनियाद आरोप-प्रत्यारोप के बजाय राज्य के विकास में सरकार का सहयोग करें।