इलाहाबाद में विकास को क्यों बाधित कर रहा खनन माफिया ?

इलाहाबाद. बालू खनन पर सालों से प्रतिबंध के कारण अवैध खनन का सिलसिला चल रहा था। वहीं अब राज्य सरकार की सख्ती के बाद अवैध खनन पर नकेल कसे जाने और आवाजाही पर रोक लगने को आम लोगों के निर्माण कार्य ठप पड़ गए हैं। साथ ही प्रशासनिक कई योजनाओं पर भी इसका काफी बुरा असर देखने को मिल रहा है।

दरअसल राज्य सरकार की सख्ती के बाद लगातार बालू से भरे टेक्टरों पर कार्रवाई की जा रही है। अवैध बालू खनन भी काफी कम हो गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बालू खनन माफियाओं में डर इस तरह समाया है कि खनन किए गए बालू के ढेर को गंगा और यमुना में डाल
दिया गया। पुलिस प्रशासन और खनन विभाग की ओर से लगातार कार्रवाई की जा रही है। ऐसे में जो लोग घर बनवाने का सपना देख रहे थे। उन्होंने ईट तो गिरवा लिया है लेकिन बालू कहीं नहीं मिल रहा है। आलम यह है कि ईट तो है लेकिन बालू नहीं होने से निर्माण कार्य भी
नहीं हो पा रहा है। इस तरह सरकारी ठेकेदार, बिल्डरों से ज्यादा आम नागरिक बालू नहीं मिलने से परेशान है।

ऐसे में अब लोगों को प्रदेश सरकार की उस ई-टेंडरिंग प्रक्रिया का इंतजार है। जिसके बाद बालू खनन प्रारंभ हो सके। मालूम हो कि बालू नहीं मिलने के कारण ईंट के दाम में काफी गिरावट दर्ज की गई है। पहले जहां ईट 7 से साढ़े 7 हजार रूपए प्रति हजार मिल रहा था। वहीं अब घट कर चार हजार रूपए में आ गया है। कुछ दिन पहले इलाहाबाद आए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या, मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह से लेकर मंत्री रीता बहुगणा जोशी का भी यही कहना था कि जिले के साथ-साथ प्रदेश के विभिन्न जिलों में बाले के अवैध खनन को लगाम लगाने की तैयार चल रही है। जल्द ही ई-टेंडरिंग के बाद वैध ठेकेदार के माध्यम से बालू की खोदायी प्रारंभ हो सकेगी।

सरकारी योजनाओं पर भी बालू बनी समस्या

बालू नहीं मिलने से निर्माण संबंधित सभी कार्य ठप पड़ने की स्थिति में आ गए हैं। शहर के विकास के लिए शासन ने करोड़ो रूपये की परियाजनाएं शुरू की है लेकिन बालू नहीं होने से कार्य पर बुरा असर दिखता नजर आ रहा है। इलाहाबाद के कई मुहल्लों में सिवरेज खोदाई का कार्य चल रहा था। लेकिन बालू के अभाव में कई जगह काम बंद पड़ गया है। इसके अलावा खोदाई के कारण शहर की कई सड़कें तो पैदल चलने के लायक भी नहीं रह गई हैं। राजरूपपुर, चकिया, लूकरगंज, करैली, चैक सहित कई अन्य मुहल्लों की सड़कों पर गढ्डे खुदे हैं। गलियों में घूम कर आने जाने के लिए मजबूर हैं।

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