देहरादून : उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती हो रही है। इसका खुलासा केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो की रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तरकाशी के दूरस्थ सीमांत इलाके के 32,300 वर्ग मीटर क्षेत्र में अवैध तरीके से अफीम की अवैध खेती हो रही है। अफीम की खेती को नष्ट करने के आदेश केंद्रीय एजेंसी ने अफीम की अवैध खेती की सेटेलाइट इमेज के साथ एक रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार को भेजी थी।
साथ ही अफीम की खेती को नष्ट करने के लिए प्रदेश पुलिस के साथ संयुक्त अभियान चलाने की बात भी कही थी। पर अभी तक अफीम की अवैध खेती के खिलाफ कोई एक्शन नहीं होने से यह बात साबित हो गई है कि या तो इस रिपोर्ट को देखने के बाद सरकार भूल गई है या यह रिपोर्ट शासन की फाइलों के बीच दबकर रह गई है। यह स्थिति तब है जबकि सीएम पुलिस को नशे और नशे के कारोबारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का खुला आदेश दे चुके हैं। पिछले दिनों तो उन्होंने पुलिस से कहा कि नशे के कारोबारियों के बीच पुलिस का खौफ होना चाहिए। सीएम रावत के निर्देश पर एक बार फिर 11 जुलाई से नशे के खिलाफ पुलिस का अभियान शुरू होगा। पर इन सबके बीच प्रदेश में नशे का कारोबार तेजी से फैल रहा है।
उत्तरकाशी की रिपोर्ट तो आ गई, लेकिन चकराता की रिपोर्ट आनी बाकी है। केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो द्वारा सेटेलाइट इमेज से तैयार रिपोर्ट में नक्शे के जरिए उत्तरकाशी के आसपास अफीम की खेती के इलाकों को दर्शाया गया है। कोरबो में 3300 वर्ग मीटर, मसूरी में 2700 वर्ग मीटर, केतर में 2200 वर्ग मीटर, डासडा में 4400 वर्ग मीटर, नौ गांव में 2700, बडियानी में 5500, पही में 3300 और गोरसाली में 3300, कुमारकोट में 2200, पना में 2700 वर्ग मीटर इलाके में अफीम की खेती का अनुमान लगाया गया है।
यह रिपोर्ट 29 अप्रैल को मुख्य सचिव को भेजी गई थी। रिपोर्ट में राज्य सरकार से संयुक्त टीम बनाकर अफीम की खेती नष्ट करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की अपेक्षा की गई थी। अफीम के पौधे से मोटी कमाई। बताया जाता है कि अफीम की खेती में महज चार डेसीमल जमीन में तीन हजार रुपए से 40 हजार रुपए की कमाई किसान को होती है। जबकि फुटकर में इसके रेट अफीम की क्वालिटी के हिसाब से कई गुना बढ़ जाते हैं। जिससे इसकी खेती करने वाले किसानों को काफी फायदा होता है।