nti-news-india-reaches-china-border-through-duktu

ड्रैगन सीमा तक पहुंचा भारत

भारत को घेरने की कोशिश में चीन पुरी तरह से जुटा हुआ है। भारत के पड़ोसी मुल्कों नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका में भारी निवेश के जरिए वो दबाव बना रहा है। चीन के सरकारी स्वामित्व वाले अखबार भारत के खिलाफ आग उगलते रहते हैं। लेकिन चीन की चाल को नाकाम करने के लिए भारत भी पूरी तैयारी से जुटा हुआ है। भारत एक तरफ अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में अपनी सामरिक शक्ति को मजबूत कर रहा है वहीं आधारभूत योजनाओं पर तेजी से काम जारी है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में सीमांत गांव दुक्तू तक सड़क मार्ग का निर्माण कर भारत अब चीन को स्पष्ट संदेश दे रहा है कि किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए भारत सरकार तैयार है।

 दुक्तू के जरिए चीन पर नजर

11 हजार फुट की ऊंचाई पर बसे इस गांव तक पहुंचने के लिए पहले सोबला से पहाड़ की पगडंड़ियों पर 46 किमी की दूरी तय करनी पड़ती थी। दुक्तू गांव चीन की ज्ञानिमा मंडी के करीब है। न्यू सोबला-दारमा मार्ग को बनाने में भारतीय इंजीनियरों को कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ा। लेकिन भारतीय इंजीनियरों के हौसलों ने सामरिक दृष्टि से बड़ी कामयाबी दिला दी। यह कामयाबी इसलिए भी अहम है क्योंकि तिब्बती मंडी ताकलाकोट के बाद चीन ने ज्ञानिमा मंडी के पास सामरिक ठिकाना बना रखा है।

भारतीय इंजीनियरों का कमाल

इस इलाके का अंतिम गांव बिदांग है। लेकिन इस गांव में अब कोई नहीं रहता है। हालांकि अब यहां कि जनसंख्या शून्य है। बिदांग से पहले दांतू, तिदांग, मार्चा और सीपू में आबादी रहती है। दुक्तू गांव तक जिस कठिन हालात में सड़क बनाई गई है, वो भारतीय इंजीनियरिंग का कमाल है। 20 से 25 दिनों में वाहनों के जाने के लिए कच्ची सड़क बन चुकी है। सीपीडब्लयू के इंजीनियरों का कहना है कि  2013 के आपदा के बाद सड़क बनाना बहुत ही कठिन था।  2005 में दारमा घाटी के जरिए चीन सीमा तक पहुंचने का सपना देखा गया था। 2013 की आपदा के बाद दो वर्षों तक काम बंद रहा।

भारत अपने सबसे बड़े पुल से चीन को देगा जवाब

चीन का जवाब देने के लिए भारत सरकार समग्र रणनीति के जरिए चीन से सटे या करीब वाले राज्यों पर खासा ध्यान दे रही है। इसी कड़ी में असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर एशिया का सबसे लंबे पुल बनाया गया है। 9.15 किलोमीटर लंबा यह पुल ना सिर्फ असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच के सफर की दूरी को कम करेगा बल्कि समय की भी बचत होगी। दो लाइन के इस पुल का डिजाइन इस प्रकार से किया गया है कि ताकि वाहन 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बिना किसी रुकावट के अपनी मंजिल तय कर सकें।

मंगोलिया को भारतीय मदद 

मंगोलिया को पिछले वर्ष भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा एक अरब डॉलर की मदद देने की घोषणा की। पीएम की इस घोषणा पर भले ही उतनी सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं हुई हो लेकिन भारत ने यह मदद ऐसी ही नहीं दी है। बताया जा रहा है कि इसके पीछे सोची समझी रणनीति और कूटनीतिक समझ शामिल है।मंगोलिया को मदद देने के पीछे सबसे बड़ी भूमिका नई सरकार की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ की है। वैसे यह बात शायद कम लोग जानते होंगे कि मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने मंगोलिया का दौरा किया था। भारत के लिए मंगोलिया का महत्व इस नाते भी बहुत है कि ये रूस और चीन के बीच में है।

जानकार की राय

जागरण. कॉम से खास बातचीत में रक्षा जानकार पी के सहगल ने बताया कि चीन की घेराबंदी के लिए जहां भारत को जहां सरहदी राज्यों में अाधारभूत तैयारी को बढ़ाना होगा, वहीं वैश्विक स्तर पर चीन विरोधी देशों के साथ मिलकर मोर्चाबंदी करनी होगी। ताकि चीन पर एत तरह से मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल हो सके।

 

About न्यूज़ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

News Trust of India न्यूज़ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

Leave a Reply

Your email address will not be published.

ăn dặm kiểu NhậtResponsive WordPress Themenhà cấp 4 nông thônthời trang trẻ emgiày cao gótshop giày nữdownload wordpress pluginsmẫu biệt thự đẹpepichouseáo sơ mi nữhouse beautiful