nti-news-iran-warns-pakistan-of-surgical-strike

ईरान की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ ने उड़ाए पाकिस्तान के होश

ईरान के सेना प्रमुख मेजर जनरल मोहम्मद बाक़री ने पिछले दिनों पाकिस्तान को ऐसा जोर का झटका दिया, जिसकी शायद उसे उम्मीद नहीं थी. उन्होंने पाकिस्तान के अंदर उन आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने की धमकी दी, जिनके एक हालिया हमले में ईरान के कम से कम 10 सैनिक मारे गए.

भारत ने पिछले साल जब सर्जिकल स्ट्राइक का दावा किया तो इसे न तो पाकिस्तानी सत्ता प्रतिष्ठान और ना ही वहां के मीडिया ने संजीदगी से लिया. लेकिन जब ईरान की तरफ से इस तरह की खुली धमकी दी गई तो पाकिस्तानी सेना, सरकार और मीडिया एक साथ बिफर गए.

अभी तक अखबारों के संपादकीय पन्ने रंगे जा रहे हैं कि आखिर ईरान की तरफ से ऐसी धमकी का क्या मतलब है.

कई जानकार ईरान से मजबूत संबंधों की राह में सऊदी अरब के साथ पाकिस्तान की निकटता को रोड़ा मानते हैं, तो कुछ की राय में ईरान दुनिया भर के मुसलमानों को आपस में लड़ाने वाली ताकतों की चाल में फंसता जा रहा है.

कुछ अखबार इस विवाद के तार भी भारत के साथ जोड़ने से खुद को नहीं रोक पाए हैं. कुल मिलाकर हालात यह हैं कि पाकिस्तान के चार पड़ोसी देश हैं, जिनमें से तीन भारत, अफगानिस्तान और ईरान के टकराव के हालात पैदा हो रहे हैं. बस चीन ही उसके साथ खड़ा है.

मुसलमानों की जग हंसाई

Source: Getty Images

रोजनामा ‘पाकिस्तान’ लिखता है कि ईरानी सेना प्रमुख का बयान साफ तौर पर पाकिस्तान की संप्रभुता और सुरक्षा को प्रभावित करता है. अखबार के मुताबिक यह बात इसलिए भी ज्यादा परेशान करती है कि यह बयान ऐसे देश के सेना प्रमुख की तरफ से आया है जिसके साथ पाकिस्तान के लंबे और स्थायी संबंध हैं.

अखबार ने ईरानी सैनिकों की मौत पर पाकिस्तान का वही रटा रटाया रुख दोहराया है कि पाकिस्तान दुनिया में सबसे ज्यादा दहशतगर्दी का शिकार है, उसने बड़ी कुर्बानियां दी हैं और वह ईरान के साथ इस मुद्दे पर हर तरह का सहयोग करने को तैयार है.

अखबार लिखता है कि पाकिस्तान और ईरान, दोनों मुसलमान पड़ोसी देश हैं, उनके बीच ऐसे मुद्दों पर तनाव जग हंसाई का कारण बन रहा है. अखबार की राय में अगर ईरानी सेना प्रमुख आतंकवादियों के खिलाफ पाकिस्तान में घुस कर कार्रवाई करने को अपना कानूनी हक बताएंगे तो फिर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में मुसलमान देशों के बारे कैसे अच्छी राय बनेगी.

रोजनामा ‘वक्त’ लिखता है कि ईरान ने जिस तरह से पाकिस्तान और सऊदी अरब को धमकियां दी हैं, उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और इनसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हचलच पैदा हो गई है.

अखबार ने ईरान से नसीहत भरे अंदाज में कहा है कि कहीं वह ऐसी ताकतों के हाथों में तो नहीं खेल रहा है जो दुनिया भर के मुसलमानों को आपस में भिड़ाना और लड़ाना चाहती हैं. अखबार लिखता है कि ईरान और सऊदी अरब पहले ही सीरिया, इराक, मिस्र और लीबिया में उलझे हुए हैं और दोनों ही तरफ से मुसलमानों की ही जानें जा रही हैं.

कौन है जिम्मेदार

pak-afghanistan border

ईरान के साथ रिश्तों में दूरियों के लिए पूर्व सीनेटर अकरम जकी पाकिस्तान को ही जिम्मेदार बताते हैं. ‘नवा ए वक्त’ में छपे अपने लेख में वह कहते हैं कि भारत के साथ 1965 में हुई जंग में चीन के अलावा जिस देश ने पाकिस्तान की खुलकर मदद की थी, वह ईरान ही था. वह बताते हैं कि ईरान ऐसा पहला देश था जिसने पाकिस्तान के बनने का भरपूर स्वागत किया और उसे संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनाने की भी जोरदार हिमायत की थी.

लेख के मुताबिक पाकिस्तान और ईरान ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भाषाई लिहाज से एक दूसरे के करीब हैं और दोनों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के अपार संभावनाएं भी हैं, लेकिन इस मामले में पाकिस्तानी नेतृत्व कभी गैरों की खुशी के लिए तो कभी विदेशी दबाव के कारण एक हिचकिचाहट का शिकार रहा है. उनका इशारा साफ तौर पर सऊदी अरब और अमेरिका जैसे देशों की तरफ है जिनका ईरान से छत्तीस का आंकड़ा रहा है.

विश्लेषक महमूद शाम ‘औसाफ’ में प्रकाशित अपने लेख में पूछते हैं कि अफगानिस्तान और ईरान हमारे खिलाफ कैसे हो गए. उनके मुताबिक, सिर्फ यह कह कर पल्ला नहीं झाड़ा जा सकता कि यह भारत के कहने पर हुआ है क्योंकि अगर भारत इतना ही प्रभावशाली हो गया है तो यह तो और भी खतरनाक बात है.

परमाणु हथियारों की धमकी

pak

‘एक्सप्रेस’ लिखता है कि पाकिस्तान के संवेदनशील प्रांत बलूचिस्तान पर दुश्मनों की नजरें टिकी हैं. अखबार के मुताबिक भारत ही है जो अफगानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान के अन्य दोस्ताना हल्कों में बदगुमानी पैदा करने की कोशिश कर रहा है और बलूचिस्तान को टारगेट कर चीन-पाकिस्तान कोरिडोर परियोजना को नुकसान पहुंचाने में जुटा है.

दूसरी तरफ ‘उम्मत’ ने ईरान के साथ तनाव को पारंपरिक शिया-सुन्नी टकराव से भी जोड़ा है. अखबार लिखता है कि सऊदी अरब के नेतृत्व में बनने वाले मुस्लिम सैन्य गठबंधन में पाकिस्तान के शामिल होने और इसकी कमान पूर्व पाकिस्तानी सेना प्रमुख राहील शरीफ को मिलने पर ईरान को आपत्तियां हैं.

अखबार के मुताबकि पाकिस्तान ने हमेशा से ईरान और सऊदी अरब समेत सभी मुसलमान देशों के बीच निकटता और सहयोग बढ़ाने की कोशिश की है. लेकिन अखबार ने अपने संपादकीय को इन तल्ख शब्दों के साथ खत्म किया है- भारत, ईरान और अफगानिस्तान जैसे देश पाकिस्तान को धमकियां देते वक्त यह न भूलें कि पाकिस्तान दुनिया की बेहतरीन और मजबूत फौज रखने वाला संप्रभु और एटमी ताकत से लैस देश है.

About न्यूज़ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

News Trust of India न्यूज़ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

Leave a Reply

Your email address will not be published.

ăn dặm kiểu NhậtResponsive WordPress Themenhà cấp 4 nông thônthời trang trẻ emgiày cao gótshop giày nữdownload wordpress pluginsmẫu biệt thự đẹpepichouseáo sơ mi nữhouse beautiful