इसरो मई में एक बड़ा इतिहास रचने जा रहा है। इसरो पहली बार श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से चार टन के सैटलाइट भेजने की क्षमता वाला रॉकेट लॉन्च करेगा। अगर देखा जाए तो इस समय इसरो के रॉकेटों (लॉन्चिंग वीइकल) में 2.2 टन तक के सैटलाइट प्रक्षेपित करने की क्षमता है। अभी तक इससे ज्यादा वजन के सैटलाइट को भेजने के लिए इसरो को विदेशी लॉन्चिंग वीइकल पर निर्भर रहना पड़ता था।
इसरो के प्रमुख एस किरण कुमार ने कहा, ‘चार टन के सैटलाइट भेजने वाले रॉकेट का नाम जीएसएलवी-एमके 3 डी-1 है। इसकी सफलता के बाद भारत की भारी सैटलाइट भेजने के लिए विदेशी लॉन्चिंग वीइकल पर निर्भरता कम होगी। अब भारत 4 टन वाले सैटलाइट बनाने पर भी ध्यान दे रहा है ताकि उनका देश के भीतर से ही प्रक्षेपण किया जा सके।
इसरो की एक साल के भीतर दूसरी विकास उड़ान की योजना है। किरण कुमार ने कहा, ‘जब तक दो विकास उड़ानें पूरी हो जाएंगी, हम और प्रक्षेपणों की दिशा में काम करेंगे ताकि यह (जीएसएलवी-एमके 3) काम करना शुरू कर दे।’ उन्होंने कहा कि इसरो का मानना है कि इस रॉकेट के काम शुरू करने से उसके इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ेगा।