कोटद्वार: कोटद्वार क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय आयुष शोध संस्थान खोलने की राह में एक बार फिर भूमि रोड़ा बन रही है। दरअसल, संस्थान की स्थापना को करीब पचास एकड़ भूमि की जरूरत है, जो कि तमाम प्रयासों के बाद भी प्रशासन को नहीं मिल पा रही है। नतीजा, करीब सात वर्ष पूर्व चरेख डांडा में स्वीकृत अंतर्राष्ट्रीय आयुष शोध संस्थान का मामला ठंडे बस्ते में जाता नजर आ रहा है।
जून 2010 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने आयुर्वेद के जनक महर्षि चरक की कर्मस्थली ‘चरेख डांडा’ में अंतर्राष्ट्रीय आयुष शोध संस्थान बनाने संबंधी शासनादेश जारी किया। इसके साथ ही शासन के निर्देश पर चरेख डांडा में संस्थान खोलने को भूमि की तलाश भी शुरू कर दी गई। संस्थान की स्थापना को पचास एकड़ भूमि की आवश्यकता थी, जो कि चरेख डांडा में उपलब्ध नहीं हो पाई। इसके बाद शासन ने चरेख डांडा में संस्थान की इकाई स्थापित करने का निर्णय लिया। संस्थान की एक इकाई चरेख डांडा में लगेगी, जबकि पूरा संस्थान कोटद्वार में स्थापित होगा। इसके बाद चरेख डांडा में इकाई स्थापना व कोटद्वार क्षेत्र में संस्थान की स्थापना के लिए भूमि का चयन शुरू हो गया। अगले दो वर्षों तक भूमि चयन की फाइलें सरकारी गलियारों में दौड़ती रही, लेकिन वर्ष 2012 में सत्ता परिवर्तन के साथ ही तमाम कवायद ठंडे बस्ते में चली गई।
अब भाजपा पुन: सत्तारुढ़ हुई तो एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय आयुष शोध संस्थान की फाइल सरकारी कार्यालयों में दौड़ने लगी है। शासन के निर्देश पर एक बार फिर प्रशासन ने शोध संस्थान की स्थापना को चरेख डांडा व इससे लगे क्षेत्र में भूमि की तलाश शुरू कर दी है। प्रयास यही है कि किसी भी तरह संस्थान की स्थापना के लिए पर्याप्त भूमि मिल जाए हालांकि, वर्तमान हालातों को देखते हुए यह कार्य दुश्कर नजर आ रहा है।
‘शोध संस्थान के लिए भूमि की तलाश की जा रही है। एक स्थान पर पचास एकड़ भूमि मिल पाना थोड़ा मुश्किल है, हालांकि प्रयास पूरी तरह से जारी हैं।
राकेश तिवारी, उपजिलाधिकारी, कोटद्वार’