हाईकोर्ट ने कहा कि वैवाहिक बलात्कार(मैरिटल रेप) एक गंभीर मुद्दा है। अदालत ने पक्षकार से यह भी जानना चाहा कि वैवाहिक बलात्कार किन देशों में अपराध माना जाता है। बेंच इस मामले में एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कि आईपीसी की धारा 375(बलात्कार) के सेक्शन 2 में पति को अपनी नाबालिग पत्नी से सेक्स करने पर रेप की परिभाषा में नहीं माने जाने को चुनौती दी है।
एनजीओ की दलील है कि किसी पति द्वारा अपनी नाबालिग पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी से अलग रखने का अपवाद या पति को मिली यह छूट असंवैधानिक है और यह बराबरी के अधिकार या किसी शादीशुदा महिला को मिले अधिकारों का उल्लंघन करती है।एक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल की अगुआई वाली बेंच ने इस मामले में पूछा कि क्या इसको अन्य देशों में अपराध की श्रेणी में माना जाता है और यह किन देशों में अपराध है।
हालांकि अदालत ने यह भी कहा कि मैरिटल रेप संस्कृति का एक हिस्सा बन गया है और यह कितना कठिन है कि कोई महिला इस बाबत मामला दर्ज कराए। हालांकि इस मामले में इससे पहले केंद्र सरकार ने सेक्शन 375 की धारा 2 को अपवाद बताते हुए कहा था कि किसी पति द्वारा अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाना रेप के दायरे या अपराध की श्रेणी में नहीं माना जा सकता।
केंद्र का कहना था कि यह सोसायटी व कस्टम का एक हिस्सा है और यह नहीं कहा जा सकता कि यह असंवैधानिक है और संविधान की धारा 14 व 21 का उल्लंघन है। बेंच ने अब इस मामले में सुनवाई के लिए 18 जुलाई की तारीख तय की है।