लखनऊ। अंबेडकर जयंती के दिन बसपा सुप्रीमो मायावती खुद उस डगर पर उतर पड़ीं जिस पर चलने वालों को अक्सर वह आड़े हाथ लिया करती थीं। परिवारवाद के नाम पर अन्य दलों को पानी पी—पीकर कोसने वाली मायावती ने आज अपने भाई आनंद कुमार को बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए पार्टी का उपाध्यक्ष बना दिया। बसपा सुप्रीमो ने इस बड़े ऐलान के साथ कुछेक शर्तें भी जोड़ी हैं। मायावती के मुताबिक उन्होंने इस शर्त के साथ अपने भाई को यह अहम जिम्मेदारी सौंपी है कि वह बसपा के लिए हमेशा नि:स्वार्थ भावना से काम करता रहेगा और कभी भी सांसद, विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री आदि नहीं बनेगा।
बहुजन समाज पार्टी का उपाध्यक्ष बनने से पहले मायावती के भाई आनंद कुमार तब चर्चा में आए थे जब जब आयकर विभाग ने उनके कई कारोबारी ठिकानों पर छापेमारी की थी। दरअसल, माया के भाई के उपर कई फर्ज़ी कंपनियां चलाने का आरोप है। ईडी की पड़ताल में मायावती के भाई आनंद कुमार के खाते में १.४३ करोड़ रुपए जमा होने की बात सामने आई थी। चुनावी दौर में हुए इस खिलासे के बाद मायावती मुश्किल में आ गई थीं। जिसके बाद मायावती को लखनऊ में प्रेस कान्फ्रेस कर सफाई देनी पड़ी।
क्लर्क से करोड़ों के कारोबारी बनने का सफर
नोएडा अथॉरिटी में बतौर क्लर्क अपने कॅरिअर की शुरूआत करने वाले आनंद कुमार करोड़ों रूपए वाली कंपनियों के स्वामी कैसे बन गए इसकी लंबी कहानी है। सूत्रों के मुताबिक आनंद ने सबसे पहले 1987 में एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के तहत मंसूरी में होटल खोला था। इस व्यापार के जरिए 2007-08 तक उनकी आय 25 लाख हुआ करती थी। जबकि 2011-12 में उनकी कंपनी द्वारा 80 लाख का घाटा दर्शाया गया, लेकिन कंपनी ने 152 करोड़ रूपए भी गोपनीय निवेश की बिक्री से प्राप्त किए। उसके बाद पांच साल के भीतर इस कंपनी में 346 करोड़ रूपए गोपनीय निवेश की बिक्री से प्राप्त किए। माया के भाई के तेजी से बढ़ते इसी करोड़ों के कारोबार को लेकर विपक्षी दलों ने मुद्दा बनाते रहे हैं। भाजपा का अरोप है कि उन्होंने अपनी बहन के राजनीतिक रसूख का फायदा उठाकर 76 कंपनियां बनाई हैं। जिनके जरिए वे कालेधन को सफेद बनाने में जुटे हुए हैं। आरोप यह भी है कि आनंद की इन कंपनियों में टैक्स हैवेन में शामिल कंपनियों ने अच्छा-खासा निवेश किया हुआ है।
ईवीएम को लेकर माया का विरोध जारी
भाजपा के खिलाफ लगातार मोर्चा खोले हुए मायावती ने इस मौके पर इस बात के अहम संकेत भी दिए कि वह आने वाले समय में भाजपा विरोधी कुनबे से हाथ मिला सकती हैंं। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिलने के बाद से मायावती चुनाव में धांधली का मुद्दा बनाते हुए केंद्र की भाजपा सरकार पर ईवीएम में छेड़खानी का आरोप लगा रही हैं। चुनाव में धांधली को लेकर उन्होंने कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है। अंबेडकर जयंती के मौके पर भी वह इसी मुद्दे पर भाजपा को कोसना नहीं भूलीं ओर बातों ही बातों में ईशारा किया कि वह ईवीएम में हुई छेड़छाड़ को लेकर विरोधी दलों से भी हाथ मिलाने में गुरेज नहीं करेंगी।
इस मौके पर मायावती ने लिखे हुए भाषण पढ़े जाने के आरोप पर सफाई पेश करते हुए कहा कि 1996 में उनके गले का बड़ा आपरेशन हुआ था। जिसके बाद चलते डॉक्टरों ने उन्हें बगैर लिखा हुआ भाषण न पढ़ने की सलाह दी है क्योंकि बगैर लिखे भाषण देते वक्त उॅंची आवाज में बोलना पड़ता है।