“दोपहर भोजन स्कूल” बन कर रह गए सरकारी स्कूल

मानव संसाधान विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज कहा कि बहुत से स्कूल केवल मध्यान्ह भोजन विद्यालय बनकर रह गए हैं क्योंकि शिक्षा का अधिकार कानून पारित होने के बाद बच्चे कुछ खास कक्षा तक में फेल नहीं होते।

नई दिल्ली: मानव संसाधान विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज कहा कि बहुत से स्कूल केवल मध्यान्ह भोजन विद्यालय बनकर रह गए हैं क्योंकि शिक्षा का अधिकार कानून पारित होने के बाद बच्चे कुछ खास कक्षा तक में फेल नहीं होते। जावड़ेकर ने राज्यसभा में पूरक प्रश्नों के जवाब में कहा, ये स्कूल केवल आने, खाने और जाने तक सीमित रह गए हैं। उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने इसे चुनौती के रूप में लिया है और अब सभी कक्षाओं के लिए अधिगम परिणामों पर अधिक बल देने का निर्णय किया है।

मंत्री ने कहा कि एक ऐसा विधेयक भी विचाराधीन है जो कक्षा पांच से कक्षा आठ के उन छात्रों को फेल करने की अनुमति प्रदान करेगा जो शिक्षा के न्यूनतम स्तर तक नहीं पहुंचते क्योंकि राज्य फेल नहीं करने की नीति में संशोधन की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर समस्या है कि कक्षा छह का छात्र कक्षा दो का पाठ पढ़ने में या कक्षा सात का छात्र कक्षा तीन का गणित का सवाल हल करने में विफल है। मंत्री ने यह भी कहा कि पिछले तीन साल में 47 नए केंद्रीय विद्यालय चालू किए गए हैं और इस तरह के 50 से अधिक स्कूलों को मंजूरी दी गई है। 62 नए नवोदित विद्यालय अनुमोदित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए यह फैसला किया गया है कि मानक में सुधार के लिए कदम उठाने वाले राज्यों को सर्व शिक्षा अभियान के तहत अतिरिक्त कोष दिया जाएगा।

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