हाई कोर्ट के इस फैसले से राज्य सरकार को राजस्व का काफी नुकसान हो रहा था वहीं, खनन सामग्री भी महंगी हो गयी थी। जिसके बाद राज्य सरकार लगातार इस पर अपील कर रही थी। साथ ही खनन कारोबारी भी इस फैसले के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे थे।
हरिद्वार निवासी एक व्यक्ति की याचिका पर कोर्ट ने गंगा में खनन पर रोक लगाई थी साथ ही मातृ सदन भी इस रोक के पक्ष में था। लेकिन आज हाई कोर्ट के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक हटा दी है जिसके बाद जहां रेत-बजरी, पत्थर चुगान और खड़िया पत्थर के खुदान से जुड़े कारोबारियों ने राहत की सांस ली है वहीं, राज्य सरकार भी संतुष्ट नजर आ रही है।
गौर हो कि नैनीताल हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए खनन के कारोबार पर भी उत्तराखंड सरकार से जवाब मांगा था। इसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। राज्य के खनन विभाग की रखी दलीलों को सुनने के बाद उच्चतम न्यायालय ने सरकार को बड़ी राहत दी है। अब गंगा नदी पर सरकार उप खनिज के खनन का काम जारी रख सकती है। हाई कोर्ट ने चारधाम यात्रा से जुड़े तीन जिलों में शराब पर भी पाबंदी लगाई थी लेकिन इसपर भी सूबे के आबकारी महकमा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था और वहां से तीनों जिलों में शराब बेचने की अनुमति मिली थी।