17 अक्तूबर, 2016 की सुबह जिला गोरखपुर के चिलुआताल के महेसरा पुल के नजदीक जंगल में एक पेड़ के सहारे एक साइकिल खड़ी देखी गई, जिस के कैरियर पर एक बोरा बंधा था. बोरा खून से लथपथ था, इसलिए देखने वालों को अंदाजा लगाते देर नहीं लगी कि बोरे में लाश हो सकती है.
लाश होने की संभावना पर ही इस बात की सूचना थाना चिलुआताल पुलिस को दे दी गई थी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी इंसपेक्टर रामबेलास यादव पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर आ पहुंचे थे. बोरे से उस समय भी खून टपक रहा था.
इस का मतलब था कि बोरा कुछ देर पहले ही साइकिल से वहां लाया गया था. उन्होंने बोरा खुलवाया तो उस में से एक आदमी की लाश निकली. मृतक की उम्र 35-36 साल रही होगी. उस के सिर पर किसी वजनदार चीज से वार किया गया था. वह रंगीन सैंडो बनियान और लुंगी पहने था. शायद रात को सोते समय उस की हत्या की गई थी.
पुलिस को लाश की शिनाख्त कराने में जरा भी दिक्कत नहीं हुई. वहां जमा भीड़ ने मृतक की शिनाख्त प्रौपर्टी डीलर सुरेश सिंह के रूप में कर दी थी. वह चिलुआताल गांव का ही रहने वाला था.
शिनाख्त होने के बाद रामबेलास यादव ने मृतक के घर वालों को सूचना देने के लिए 2 सिपाहियों को भेजा. दोनों सिपाही मृतक के घर पहुंचे तो घर पर कोई नहीं मिला. पड़ोसियों से पता चला कि सुरेश सिंह के बिस्तर पर भारी मात्रा में खून मिलने और उस के बिस्तर से गायब होने से घर के सभी लोग उसी की खोज में निकले हुए थे.
घर पर पुलिस के आने की सूचना मिलने पर मृतक सुरेश सिंह के बड़े भाई दिनेश सिंह घर आए तो जंगल में एक लाश मिलने की बात बता कर दोनों सिपाही उन्हें अपने साथ ले आए. लाश देखते ही दिनेश सिंह फफक कर रो पड़े. इस से साफ हो गया कि मृतक उन का भाई सुरेश सिंह ही था.
इस के बाद पुलिस ने घटनास्थल की सारी काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए बाबा राघवदास मैडिकल कालेज भिजवा दिया और उस साइकिल को जब्त कर लिया, जिस पर लाश बोरे में भर कर वहां लाई गई थी.
थाने लौट कर रामबेलास यादव ने मृतक के बडे़ भाई दिनेश सिंह की तहरीर पर सुरेश सिंह की हत्या का मुकदमा अज्ञात के खिलाफ दर्ज कर लिया. मृतक सुरेश सिंह प्रौपटी डीलिंग का काम करता था. विवादित जमीनों को खरीदनाबेचना उस का मुख्य धंधा था. पुलिस ने इसी बात को ध्यान में रख कर जांच आगे बढ़ाई, लेकिन उस का ऐसा कोई दुश्मन नजर नहीं आया, जिस से लगे कि हत्या उस ने कराई है.
यह हत्याकांड अखबारों की सुर्खियां बना तो एसएसपी रामलाल वर्मा ने एसपी (सिटी) हेमराज मीणा को आदेश दिया कि वह जल्द से जल्द इस मामले का खुलासा कराएं. उन्होंने सीओ देवेंद्रनाथ शुक्ला और थानाप्रभारी रामबेलास यादव को सुरेश सिंह तथा उस के घरपरिवार के आसपास जांच का घेरा बढ़ाने को कहा.
क्योंकि उन्हें लग रहा था कि यह हत्या दुश्मनी की वजह से नहीं, बल्कि अवैधसंबंधों की वजह से हुई है. क्योंकि मृतक को जिस तरह बेरहमी से मारा गया था, इस तरह लोग अवैध संबंधों में ही नफरत में मारे जाते हैं. इसी बात को ध्यान में रख कर जांच आगे बढ़ाई गई तो जल्दी ही नतीजा निकलता नजर आया.
किसी मुखबिर ने बताया कि पिछले कई सालों से सुरेश सिंह की अपनी पत्नी से पटती नहीं थी. दोनों में अकसर लड़ाईझगड़ा होता रहता था और इस की वजह सुरेश सिंह का सगा भतीजा राहुल चौधरी था. क्योंकि उस के अपनी चाची राधिका से अवैध संबंध थे.
घटना से सप्ताह भर पहले भी इसी बात को ले कर सुरेश और राधिका के बीच काफी झगड़ा हुआ था. तब सुरेश ने पत्नी की पिटाई कर दी थी, जिस से नाराज हो कर वह बच्चे को ले कर मायके चली गई थी. रामबेलास यादव को हत्या की वजह का पता चल गया था. राहुल से पूछताछ करने के लिए वह उस के घर पहुंचा तो उस के पिता दिनेश सिंह ने बताया कि वह तो लखनऊ में है.
लखनऊ में राहुल गोमतीनगर में किराए का कमरा ले कर रहता है और सरकारी नौकरी के लिए तैयारी कर रहा है. पिता का कहना था कि हत्या वाले दिन के एक दिन पहले वह लखनऊ चला गया था. जबकि मुखबिर ने उन्हें बताया था कि घटना वाले दिन सुबह वह चिलुआताल में दिखाई दिया था.
पिता का कहना था कि घटना से एक दिन पहले यानी 16 अक्तूबर, 2016 को राहुल लखनऊ चला गया था, जबकि मुखबिर का कहना था कि घटना वाले दिन वह चिलुआताल में दिखाई दिया था. मुखबिर की बात पर विश्वास कर के रामबेलास यादव ने राहुल को लखनऊ से लाने के लिए 2 सिपाहियों को भेज दिया.
लखनऊ पुलिस की मदद से गोरखपुर पुलिस 22 अक्तूबर, 2016 को लखनऊ के गोमतीनगर से राहुल चौधरी को गिरफ्तार कर गोरखपुर ले आई. थाने ला कर उस से सुरेश सिंह की हत्या के बारे में पूछताछ की गई तो उस ने बिना किसी हीलाहवाली के चाची से अवैध संबंधों की वजह से चाचा सुरेश सिंह की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. राहुल ने चाची के प्रेम में पड़ कर चाचा की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी