लखनऊ. बसपा के कद्दावर नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बुरे दिन शुरू हो गए हैं। तीन दिन पहले पार्टी सुप्रीमो मायावती ने उन्हें सभी प्रमुख पदों से हटाकर यूपी के बजाय मध्यप्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी थी। अब राजधानी पुलिस ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ पास्को एक्ट में चार्जशीट तैयार करना शुरू कर दिया है। जाहिर है कि पास्को एक्ट में गैरजमानती
धाराएं लगती हैं, ऐसे में नसीमुद्दीन सिद्दीकी को अब जेल की हवा खानी पड़ सकती है। पुलिस ने नसीमुद्दीन के साथ-साथ बसपा नेता रामअचल राजभर और मेवालाल गौतम को नोटिस भेजकर पक्ष रखने को कहा है। तीनों नेताओं का जवाब मिलते ही चार्जशीट को कोर्ट में दाखिल कर दिया जाएगा। लखनऊ पुलिस ने यह चार्जशीट योगी सरकार में मंत्री स्वाति सिंह द्वारा नामजद रिपोर्ट पर लगाई है।
दरअसल, 19 जुलाई को भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए जाने के बाद मऊ दौरे के दौरान दयाशंकर सिंह ने बसपा मुखिया मायावती पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए उनकी तुलना वेश्याfसे करते हुए बसपा के टिकट बेचने का आरोप लगाया है। इस टिप्पणी के खिलाफ बसपाइयों ने प्रदेश में तमाम स्थानों पर प्रदर्शन किया और 21 जुलाई को लखनऊ में नसीमुद्दीन सिद्दीकी, प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर और पार्टी सचिव मेवालाल की अगुवाई में प्रदर्शन के दौरान दयाशंकर सिंह, उनकी पत्नी स्वाति सिंह और बेटियों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया था। इसी दौरान बसपा कार्यकर्ताओं ने दयाशंकर की बीवी और बेटी को ‘पेश’ करने की आवाज उठाई थी।
बेटियों के लिए अपशब्द सुनकर स्वाति सिंह बिफर गईं। मुकदमा दर्ज होने के कारण दयाशंकर सिंह तो फरार थे, लेकिन स्वाति सिंह ने मायावती तथा उनके नेताओं को ललकारते हुए सवाल पूछा था कि बताएं बेटी को कहां पेश करना है और किस माई के लाल में हिम्मत है, जो उनकी बेटियों को हाथ लगाकर दिखाएगा। स्वाति सिंह की इस दहाड़ से बसपा को बैकफुट पर आना पड़ा था। स्वाति सिंह ने इसके बाद बसपा के राष्ट्रीय महामंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर और पार्टी सचिव मेवालाल के खिलाफ पास्को एक्ट के तहत हजरतगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।
पिछले बरस जुलाई में मुकदमा दर्ज कराने के बाद भाजपा ने स्वाति सिंह के तेवर देखे तो उन्हें महिला मोर्चा की अध्यक्ष बनाकर आगे बढऩे को कहा। स्वाति सिंह ने लखनऊ की सरोजनीनगर सीट पर भाजपा का परचम लहराया और योगी सरकार में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनीं। उधर यूपी में प्रचंड जीत के बाद भाजपा ने दयाशंकर सिंह का निलंबन खत्म करते हुए उन्हें ससम्मान वापस बुला लिया। अब स्वाति सिंह सत्ता के केंद्र में हैं तो लखनऊ पुलिस उनके मामले में तेजी दिखाते हुए चार्टशीट दाखिल करने की तैयारी में हैं। हजरतगंज के क्षेत्राधिकारी अवनीश कुमार कहते हैं कि स्वाति सिंह के द्वारा नामजद तीनों अभियुक्तों को नोटिस भेजी गई है। तीनों अभियुक्तों का पक्ष सुनने के बाद जल्द ही चार्जशीट को फाइल कर दिया जाएगा।
बच्चों के साथ यौन अपराध में लगता है पास्को एक्ट
– पास्को शब्द अंग्रेजी से आता है। इसका पूर्णकालिक मतलब होता है प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फार्म सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012 यानी लैंगिक उत्पीडऩ से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012. इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है। वर्ष 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय हैं। इस अधिनियम की धारा 4 के तहत ऐसे मामले शामिल किए जाते हैं, जिनमें बच्चे के साथ दुष्कर्म या कुकर्म किया गया हो, ऐसे मामलों में न्यूनतम सात साल सजा से लेकर उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। पास्को एक्ट की धारा 6 के तहत बच्चों को दुष्कर्म या कुकर्म के बाद गंभीर चोट पहुंचाने का मामला होता
है। इस अपराध के लिए दस साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा संभव है। पास्को अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत वो मामले पंजीकृत किए जाते हैं, जिनमें बच्चों के निजी अंगों से छेडछाड़ की जाती है। इसके धारा के आरोपियों पर दोष सिद्ध होने पर पांच से सात साल तक की सजा और जुर्माना होता है। पास्को कानून की धारा 3 के तहत पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट को भी परिभाषित किया गया है, जिसमें बच्चे के शरीर के साथ किसी भी तरह की हरकत करने वाले शख्स को कड़ी सजा का प्रावधान है। गौरतलब है कि18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार इस कानून के दायरे में आ जाता है. यह कानून लडक़े और लडक़ी को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है। इस कानून के तहत पंजीकृत होने वाले मामलों की सुनवाई विशेष अदालत में होती है।