बिहार सरकार ने ‘नीरा’ को एक बड़े उद्योग के रूप में विकसित करने का फैसला लिया है। इसके लिए राज्य सरकार ‘नीरा’ का व्यावसायिक उत्पादन करेगी। साथ ही, लोगों को भी बड़ी तादाद में इस उद्योग से जोडऩे की मुहिम चलाई जाएगी। इसके लिए राज्य का उद्योग विभाग लोगों को प्रशिक्षण देगा। राज्य सरकार ने अगले दो महीनों में ‘नीरा’ की बिक्री शुरू करने का फैसला लिया है। इसके तहत बिहार सरकार ने एक दर्जन जिलों में नीरा उत्पादन योजना की जिम्मेदारी ‘जीविका’ के हाथों में दी गई है। इनमें गया, नवादा, नालंदा, बांका, भागलपुर, समस्तीपुर, पटना, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर, वैशाली, सारण और जहानाबाद जिले शामिल हैं। इन जिनों में ताड़ के पेड़ों की तादाद सबसे ज्यादा है। ‘जीविका’ ने अब तक इस बारे में 284 उत्पादक समूहों का गठन कर लिया है, जो उत्पादकों से नीरा खरीदेंगे।
‘नीरा’ और उसके गुड़ के कारोबार के लिए राज्य सरकार से खास तौर पर लाइसेंस लेना होगा। अब तक इस कारोबार के लिए 12,000 लोगों ने आवेदन किए हैं, जिसमें सबसे ज्यादा आवेदक नालंदा जिला से हैं। इस बाबत उद्योग विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को जल्द से जल्द मास्टर ट्रेनर्स को तैनात करने का आदेश दिया है। वहीं, राज्य सरकार ने कॉम्फेड के जरिये ‘नीरा’ का व्यावासयिक उत्पादन भी करने का फैसला लिया है। इसके तहत कॉम्फेड दो चरणों में हाजीपुर, नालंदा, भागलपुर और गया में प्रसंस्करण इकाइयां लगाएगी। इनमें हाजीपुर और नालंदा में पहले चरण में, जबकि गया और भागलपुर जिलों में दूसरे चरण में ईकाई लगाई जाएगी। इसमें भी भागलपुर में सिर्फ नीरा का गुड़ बनाया जाएगा। हालांकि, इन इकाइयों को चालू रखने के लिए कॉम्फेड को हर दिन कम से कम 1,200 लीटर ‘नीरा’ की जरूरत होगी, जिसके लिए उद्योग विभाग ने ‘जीविका’ को खास तौर पर उपलब्धता सुनिश्चित करने का आदेश भी दिया है। राज्य के उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह ने बताया, ‘हमारी सरकारी राज्य में नशाबंदी को लेकर प्रतिबद्ध है, इसलिए हमने नीरा और नीरा के दूसरे उत्पादों को बढ़ावा देने का फैसला लिया है। इस मद में अगले वित्त वर्ष में उनके लिए 50 करोड़ रुपये का आवंटन भी हो चुका है।’