आय कर विभाग ने उन लोगों को दबोचने का प्रयास तेज कर दिया है, जिन्होंने नोटबंदी के दौरान न केवल बेहिसाबी रकम जमा कराई बल्कि ऊंचे मूल्य के जायदाद के सौदों से प्राप्त रकम भी विदेश भेजी है। आयकर विभाग ने ऐसे लोगों की खबर लेने के लिए पिछले सप्ताह ‘ऑपरेशन क्लीन मनी’ के दूसरे चरण की शुरुआत की है। कर विभाग ने पिछले सप्ताह करीब 60,000 लोगों को रडार पर लिया है, जिनमें 1,300 ‘ऑपरेशन क्लीन मनी’ के दूसरे चरण में ‘अधिक जोखिम’ वाले करार दिए गए हैं। सरकार ने वित्तीय प्रणाली में काले धन का पता लगाने के लिए इस अभियान की शुरुआत की है। बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के चेयरमैन सुशील चंद्र ने कहा, ‘ये लोग केवल जमा रकम ही नहीं बल्कि अन्य दूसरे महत्त्वपूर्ण मानदंडों के आधार पर भी निशाने पर हैं।’
जांच के दायरे में आए 1,300 लोग रियल एस्टेट क्षेत्र में ऊंचे मूल्य के सौदों के कारण संदिग्ध की श्रेणी में आए हैं। इन लोगों के सौदे इनकी कर चुकाने की क्षमता और आय सृजन के हिसाब से काफी अधिक पाई गई थी। इनके द्वारा किए गए जायदाद के सौदे 6,000 करोड़ रुपये से अधिक रहने का अनुमान है। दूसरे 6,600 मामलों में कर विभाग ने पाया कि लोग पैसे विदेश भेजने के लिए उदार योजना (एलआरएस) का बेजा इस्तेमाल किया है और करीब 1,800 करोड़ रुपये से अधिक रकम विदेश भेजी है। चंद्र के अनुसार दूसरे चरण में यह पूरी मशक्कत सूचना स्रोतों के एकीकरण पर आधारित है। उन्होंने कहा कि ये सूचनाएं विभाग को तीसरे पक्षों से प्राप्त हुई हैं। इनमें बैंकों से प्राप्त वित्तीय लेन-देने के रिकॉर्ड और पिछले तीन साल में जायदाद के महंगे सौदे पर प्रॉपर्टी डीलर और पंजीकरण प्राधिकरणों से मिली सूचनाएं शामिल हैं।
चंद्र ने आगे कहा कि नोटबंदी के दौरान बैंकों में जो पुराने नोट जमा कराए गए थे, उनसे छुपे बैंक खातों और स्थायी खाता संख्या (पैन) की जानकारी मिली है, जिनसे विभाग को संबंधित व्यक्तियों के बारे में अधिक से अधिक सूचनाएं जुटाने में सहायता मिल रही है। सीबीडीटी के चेयरमैन ने बीते शुक्रवार और शनिवार को देश भर के कर अधिकारियों के साथ बैठक की थी और ऑपरेशन क्लीन मनी के दूसरे चरण पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा, ‘दूसरे चरण के तहत कर चोरों का पता लगाने के लिए हमने तीन विकल्प तय किए हैं। सबसे पहले हम चिह्निïत व्यक्यिों से जुड़ी जानकारी खंगालेंगे। इस प्रक्रिया के बाद और अधिक जानकारी मिलनने पर हम खुली जांच शुरू करेंगे। इसके बाद अगर पुख्ता सबूत मिले तो तीसरे चरण में हम कार्रवाई करेंगे।’
कर अधिकारियों के अनुसार नोटबंदी के बाद जिन 70 लाख पैनधारकों ने पुराने नोट जमा कराए हैं, उनमें 35 प्रतिशत ने कभी आयकर दाखिल नहीं किया था या उनकी जमा रकम उनके कर रिटर्न से मेल नहीं खाती हैं। सूत्रों ने कहा कि जांच के दौरान कुछ बैंकरों, सरकारी अधिकारियों और नौकरशाहों की संदिग्ध भूमिकाओं की भी जानकारी मिली थी। सूत्रों ने कहा कि सरकारी अधिकारी जैसे बैंकर, डॉक्टर और अन्य अधिकारी भी निशाने पर थे क्योंकि उन्होंने 5-10 लाख के बीच नकद रकम जमा कराई थी।