अंतर्राष्ट्रीय दबाव के तहत झुकते हुए पाकिस्तान ने अपनी जमीन पर सक्रिय 5 हजार संदिग्ध आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की है और उनके बैंक खाते सील कर दिये हैं। पाकिस्तान सरकार की इस कार्रवाई से आतंकियों के लगभग 3 मिलियन डॉलर यानी कि 1 अरब 93 करोड़ रुपये सरकारी कब्जे में आ गये हैं। पाकिस्तानी सरकार के इस कदम से आतंकियों का मुख्य आर्थिक स्रोत सूख सकता है। हालांकि पाकिस्तान के इस कदम के बावजूद उसे अंतर्राष्ट्रीय निगरानी संगठनों की आलोचना का शिकार होना पड़ सकता है क्योंकि रोक के बावजूद आतंकियों के हमदर्द पाकिस्तानी अधिकारी सरकार के ऐसे कदमों को अर्थहीन बना देते हैं। अगले महीने स्पेन में पाकिस्तान सरकार को आतंकियों के खिलाफ उठाये गये कदमों की जानकारी देनी है।
बता दें कि पाकिस्तान के कई संगठनों के अलावा कई अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने लश्कर ए तोयबा जैसे आतंकी संगठनों के नये नाम से चंदा इकट्ठा करने की प्रक्रिया पर चिंता जताई है। साथ ही पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों द्वारा खुले आम अपनी गतिविधियां चलाने पर भी चिंता जाहिर की गई है। बता दें कि ये दोनों संगठन भारत विरोध के नाम पर पाकिस्तान, सउदी अरब, और ब्रिटेन में आतंकियों के प्रति हमदर्दी रखने वाले मुसलमानों से चंदा संग्रह करते हैं। इस्लामाबाद स्थित पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ पीस स्टडीज के निदेशक मुहम्मद आमिर राणा कहते हैं कि सरकार को एक रास्ता तलाशना होगा जिसके जरिये संदिग्ध आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाले व्यक्तियों और समूहों को पूरी तरह से बैन किया जा सके।
पाकिस्तान की नेशनल काउंटर टेररिज्म अथॉरिटी (NACTA) ने तमाम दबावों के बावजूद देश में आतंकवादियों को धन मुहैया कराने के खिलाफ नीतियां बनानी शुरू कर दी है। इस संस्था के लिए सबसे बड़ी चुनौती आतंकियों के हितैषी का रोल अदा करने वाले नेताओं से निपटना है। स्थानीय समर्थन के कारण पाकिस्तान के नेता ऐसे समूहों और व्यक्तियों पर किसी किस्म की कार्रवाई नहीं चाहते हैं। नेशनल काउंटर टेररिज्म अथॉरिटी ने इस साल ऐसी संस्थाओं की सूची जारी की है जिसे लोग दान कर सकते हैं। रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग दान करना पुण्य का काम समझते है। पाकिस्तान में आतंकी संगठन लोगों की इन धार्मिक भावनाओं का फायदा उठाते हैं।