गढ़वाल के आठ गांवों के लोग जी रहे आदिम युग में

उत्‍तरकाशी : ‘आसमान से गिरे, खजूर पर अटके’, यह कहावत उत्तरकाशी जिले की सरबडियार पट्टी के आठ गांवों पर सटीक बैठती है। इन गांवों के 863 परिवारों के लिए बिजली की रोशनी आज भी सपने जैसी है। मुल्क की आजादी के बाद पहली बार वर्ष 2016 में इन गांवों को विद्युतीकरण से जोड़ने के लिए सात करोड़ की योजना बनी।

दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत ऊर्जा निगम ने गांव तक विद्युत पोल भी पहुंचा दिए। लेकिन, जब लाइन बिछाने को पोल गाड़ने की नौबत आई तो वन अधिनियम ने अड़ंगा लगा दिया। इसके बाद ऊर्जा निगम ने दो बार अनुमति के लिए वन विभाग को पत्र भी लिखे, लेकिन अब तक अनुमति नहीं मिल पाई है।

पुरोला ब्लाक की इस सुदूरवर्ती पट्टी में पड़ने वाले पौंटी, गोल, लेवटाड़ी, डिगाडी, छानिका, किमडार, सर व कसलावं गांवों के 863 परिवार आज भी आदिम युग में जी रहे हैं। इन गांवों के लिए आज तक सड़क की सुविधा है न बिजली की ही। संचार सेवा तो खैर दूर की कौड़ी है। इन मूलभूत सुविधाओं के अभाव में यहां स्वास्थ्य एवं शिक्षा की स्थिति भी बदहाल है। ग्रामीणों को रोड हेड तक पहुंचने के लिए 14 से लेकर 20 किलोमीटर की दूरी पैदल नापनी पड़ती है।

गांवों के लिए स्वीकृत सड़क तो पहले ही वन अधिनियम में अटकी हुई थी, अब ग्रामीणों की बिजली की उम्मीद पर भी उसने पानी फेर दिया है। वन विभाग ने सरनौल व सरबडियार के बीच कंडारीधार व खिमोत्रा के जंगल में पोल गाड़ने और लाइन खींचने पर रोक लगा दी।

इस तीन किमी हिस्से में लाइन बिछाने की अनुमति के लिए ऊर्जा निगम दो बार अपर यमुना वन प्रभाग की बड़कोट रेंज को पत्र लिख भी लिख चुका है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। डिगाड़ी गांव के कैलाश सिंह कहते हैं कि ग्रामीण बड़ी हसरत से गांव में बिजली का इंतजार कर रहे थे, लेकिन वन अधिनियम जैसे काले कानून ने उनकी खुशी छीन ली।

आठ गांवों में विद्युत पोल गाड़ने का हो गया है काम पूरा

ऊर्जा निगम के ईई लखन पाल का कहना है कि सरबडियार के आठ गांवों में विद्युत पोल गाड़ने का काम पूरा हो गया है। सरनोल से कंडारीधार तक भी पोल खड़े किए गए हैं। कंडारीधार-खिमोत्रा के बीच तीन किमी वन क्षेत्र में पोल गाड़ने की अनुमति को दो बार पत्रावली वन विभाग को भेजी जा चुकी है, लेकिन अभी स्वीकृति नहीं मिली।

बिना अनुमति के जंगल के बीच विद्युत लाइन बिछानी शुरू कर दी

अपर यमुना वन प्रभाग के डीएफओ जेपी सिंह का कहना है कि ऊर्जा निगम ने बिना अनुमति के जंगल के बीच विद्युत लाइन बिछानी शुरू कर दी। जिस क्षेत्र में विद्युत लाइन डाली जा रही है, वहां बेहद घना जंगल है। इसलिए जब तक केंद्र सरकार से अनुमति नहीं मिल जाती, तब तक काम नहीं होने दिया जाएगा।

 

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