ये डिवाइस ग्राहकों को चूना लगाने के लिए लगाई गई थी। यानि अगर आप एक लीटर पेट्रोल 70 रुपये का डलवा रहे हैं उसमें 3.30 रुपये का पेट्रोल कम आएगा। कहा जा रहा है कि इससे छोटे पेट्रोल पंप मालिक को एक एक महीने में पांच से सात लाख रुपये की बचत होती थी और बड़े पेट्रोल पंप मालिकों को 10 से 15 लाख रुपयों की बचत होती थी।
अब सवाल ये उठता है कि इस डिवाइस का प्रयोग क्या उत्तराखंड में भी किया जा रहा है? उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तो सभी जिलाधिकारियों को आदेश दे दिए हैं कि वो सभी पेट्रोल पम्पों की जांच करें साथ ही एक एसआईटी भी गठित कर दी है। लेकिन अभी तक उत्तराखंड में कोई भी इस तरह के ना तो आदेश दिए गए हैं और ना ही कोई छापेमारी हुई है। हालांकि, कल से देश में हुए इस हल्ले के बाद अगर किसी ने डिवाइस लगाई भी होगी तो अब तक हट गई होगी।