प्रॉपर्टी निवेशकों ने इतना खराब दौर कभी नहीं देखा था। लगातार मंदी चलने के कारण पिछले कुछ साल से कीमतें जहां की तहां थमी हुई हैं। नोटबंदी की वजह से तो मांग को लकवा ही मार गया लगता है। आम बजट में जिन बदलावों की घोषणा की गई है, उनसे प्रॉपर्टी निवेशकों पर और चोट पड़ेगी। आपने चाहे कितने भी मकान खरीदे हों और उनका कितना भी कर्ज चुका रहे हों, सभी के ब्याज पर आप कुल मिलाकर 2 लाख रुपये तक ही कटौती का दावा कर पाएंगे। इनमें वह मकान भी शामिल होगा, जिसमें आप रह रहे हैं।
इसे इस तरह समझिए। आप जिस घर में रह रहे हैं, उसका कर्ज अभी आप चुका रहे हैं। उस पर आप धारा 80 सी के तहत मूलधन पर 1.50 लाख रुपये और धारा 24 के अंतर्गत ब्याज पर 2 लाख रुपये तक कटौती का फायदा ले सकते हैं। जेएलएल के राष्ट्रीय निदेशक (अनुसंधान) आशुतोष लिमये के मुताबिक अगर आप दूसरा मकान खरीदते हैं तो आप पुराने नियमों के मुताबिक आप दोनों मकानों पर चुकाए जा रहे कर्ज के समूचे ब्याज की कटौती का दावा कर सकते थे। लेकिन नियम बदलने के बाद आप दोनों को मिलाकर 2 लाख रुपये ब्याज कटौती का दावा ही कर सकेंगे।
पीडब्ल्यूसी इंडिया में पार्टनर और लीडर (व्यक्तिगत कर) कुलदीप कुमार कहते हैं कि इस कदम से निवेशकों के लिए प्रॉपर्टी की खरीद लागत बढ़ेगी। इसलिए जब वह इसे बेचेगा तो उसे कम प्रतिफल मिलेगा। अगर किसी निवेशक की सालाना आमदनी 24 लाख रुपये है और वह उस संपत्ति पर पहले साल 8.5 लाख रुपये का ब्याज चुकाता है, जिसमें वह नहीं रह रहा है तो पुराने नियमों के मुताबिक उसकी कर योग्य आय घटकर 15.5 लाख रुपये (24 लाख में से 8.5 लाख रुपये का घटाव) रह जाती। लेकिन नए नियम लागू होने के बाद अब उसकी कर योग्य आय 22 लाख रुपये हो जाएगी क्योंकि वह अपनी कुल आमदनी (24 लाख रुपये) में से केवल 2 लाख रुपये की कटौती ही हासिल कर पाएगा।
हालांकि खरीदार चुकाए गए ब्याज को समायोजित नहीं कर पाता है तो वह इसे अगले 8 आकलन वर्षों में ले जा सकता है। इस उदाहरण में यह ब्याज राशि 6.5 लाख रुपये (8.5 लाख में से 2 लाख रुपये का घटाव) है। लेकिन इसका समायोजन घर से प्राप्त होने वाले किराये पर ही किया जा सकता है। इसका मतलब है कि आपका किराया ऋण पर चुकाए जाने वाले ब्याज से अधिक होना चाहिए।
रियल एस्टेट विशेषज्ञों का कहना है कि 3 लाख रुपये से अधिक के नकद लेनदेन पर रोक लगाना एक अन्य ऐसा मसला है, जिससे लंबी अवधि में प्रतिफल प्रभावित हो सकता है। प्रॉपर्टी लेनदेन में एक हिस्से का भुगतान नकदी में होता रहा है। चेक से भुगतान घर की रेडी रेकनर या सर्कल रेट के आधार पर होता है। इससे अधिक राशि का भुगतान नकदी में होता है। इससे खरीदार कम स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क बचा पाता है।
बजट में सरकार ने 3 लाख रुपये से अधिक के नकद लेनदेन पर रोक लगा दी है। इस सीमा से अधिक नकदी स्वीकार करने वाले व्यक्ति को दंडित किया जाएगा। इसका मतलब है कि लोगों को सौदे की असली राशि पर स्टांप शुल्क और निबंधन शुल्क चुकाने होंगे। एक रियल एस्टेट सर्विसेज कंपनी के एक अधिकारी कहते हैं कि नकद लेनदेन एवं बेनामी लेनदेन (निषेेध) संशोधन अधिनियम से प्रॉपर्टी में काले धन का प्रवाह घटने के आसार हैं, जिससे प्रॉपर्टी की बिक्री और मांग पर असर पड़ेगा।
बजट में महंगी संपत्ति के मालिकों को कर के दायरे में लाने के लिए कदम उठाए गए हैं। अगर प्रॉपर्टी के मालिक ने अपना घर किराये पर दिया है और हर महीने 50,000 रुपये से अधिक किराया वसूल करता है तो किरायेदार को 5 फीसदी कर काटकर इसे सरकार के पास जमा कराना होगा।