लखनऊ । रिवर फ्रंट के निर्माण में गड़बड़ी के लिए चिह्नित दोषियों पर कार्रवाई की संस्तुति से पहले मंत्री सुरेश खन्ना की जांच समिति ने तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन, प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल का पक्ष सुनने का निर्णय किया है। दोनों अधिकारियों को लिखित जवाब के लिए तीन दिन की मोहलत दी जाएगी। समाजवादी सरकार की गोमती चैनलाइजेशन योजना में करोड़ों का घोटाला व नियमों की अनदेखी का न्यायमूर्ति आलोक सिंह की जांच रिपोर्ट में खुलासा होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरोपितों पर कार्रवाई निर्धारित करने के लिए मंंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है। जिसमें राजस्व परिषद के अध्यक्ष प्रवीर कुमार, अपर मुख्य सचिव वित्त अनूप पांडेय, प्रमुख सचिव न्याय रंगनाथ पांडेय को सदस्य नियुक्त किया गया है।
शुक्रवार को समिति की पहली बैठक हुई, जिसमें न्यायमूर्ति आलोक समिति की संस्तुतियों व जांच रिपोर्ट का अध्ययन किया। सूत्रों का कहना है कि समिति ने पाया कि जांच के दौरान तत्कालीन मुख्यसचिव आलोक रंजन व प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल का पक्ष नहीं लिया गया। खन्ना समिति ने दोनों का पक्ष जांच में शामिल कराने का निर्णय लिया है। सूत्रों का कहना है कि इन दोनों को लिखित बयान देने के लिए तीन दिन का समय देने का निर्णय लिया गया है।
वर्ष 2014-15 में शुरू हुई थी योजना
वर्ष 2014-15 में गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना के लिए 656 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की थी जो बढ़कर 1,513 करोड़ हो गई थी। इस राशि का 95 प्रतिशत हिस्सा खर्च होने के बावजूद परियोजना का 60 प्रतिशत कार्य पूरा हुआ। मुख्यमंत्री बनने के बाद आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट का निरीक्षण किया और सेवानिवृत न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में समिति गठित कर 45 दिन में रिपोर्ट मांगी थी। उन्होंने पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपी थी।
विलंब के लिए भी जिम्मेदार
परियोजना को पूरा करने में विलंब के लिए अभियंताओं को प्रथम दृष्टतया दोषी ठहराया गया है। तत्कालीन प्रमुख सचिव सिंचाई, तत्कालीन प्रमुख अभियंता समेत विभागाध्यक्ष सिंचाई के शामिल थे। दो वर्ष में 23 बैठक करने के बावजूद समय से कार्य पूरा नहीं हुआ, जिसके लिए अनुश्रवण समिति के अध्यक्ष भी जिम्मेदार ठहराया गया है।