(नीरज त्यागी )
15 अप्रैल को हुआ राज्यरानी एक्सप्रेस का रेल हादसा इस साल की तीसरा बड़ा रेल हादसा है। इससे पहले महाकौशल एक्सप्रेस और भुवनेश्वर एक्सप्रेस के रेल हादसे भी पिछले महीनो में हुए। वहीं राज्य सभा में एक प्रश्न के जवाब में जानकरी सामने आई, जिसमे कहा गया की 1 अप्रैल 2016 से 28 फ़रवरी 2017 तक कुल 99 रेल हादसा हुए हैं जिसमे 64 मामलो में रेलवे कर्मचारियों की चूक को हादसे की वजह मन गया है पर प्रश्न ये उठता है कि इसके लिए सरकार की रणनीति क्यों नहीं बनती है?
रेल मंत्रालय द्वारा डॉ अनिल काकोदर की अध्यक्षता में रेलवे सुरक्षा समीक्षा समिति ने अपनी रिपोर्ट फरवरी 2012 में दी जिसमें कुल 106 सिफारिशें दी गई, जिसमे से तत्कालीन सरकार ने 19 शिफारिश को छोड़कर सारी सिफारिशें मान ली थी। रिपोर्ट में में कुछ अहम सिफारिशें रेल हादसों से निपटने के लिए की गई थी, जिसमें यूरोपीय रेल नियंत्रण प्रणाली के सदृश्य एक एडवांस सिग्नलिंग प्रणाली को 1900 किलोमीटर पर 5 वर्ष में लागू करने की सिफारिश की गई थी। पर उन सभी सिफारिशों को अभी भी पूर्णरूप से लागू नहीं किया गया है।
वर्त्तमान सरकार भी हादसों को रोकने के लिए कई कदम उठाने का दावा करती है। लेकिन वास्तविक स्थिति ये है कि रेल हादसों को कम करने के लिए कई योजना पूर्व में भी बनाई गई और उनको आज तक लागू नहीं किया जा सका है। मसलन ट्रेन के टक्कर की रोकथाम के लिए सभी ट्रेनों में एंटी कॉलिशन डिवाइस लगाने की बात पिछले कई वर्षो से चल रही है पर इसे पूर्ण रूप से लागू नहीं किया जा सका है। आज हम जहां उच्च गति की रेल तकनीक को भारत में लाने का विचार कर रहे हैं, ऐसे में ट्रेन हादसे एक नकरात्मक पक्ष को उजागर करते हैं।
ट्रेन हादसों के विषय में कई बुनियादी बाते हैं जिन पर विचार किया जाना चाहिए। जैसे आज भी कई रेल ट्रैक, रेल ब्रिज तक़रीबन 100 वर्ष पुराने हैं, वहीं कई रेल मार्ग रूटों पर अत्यधिक दबाव का कारण उचित संख्या में रेलवे ट्रैक का न होना भी चिंता का विषय है। ऐसे में रेल हादसों का होना एक संयोग नहीं माना जा सकता है, जबकि रेल मार्गों का विकास और विस्तार भारतीय रेल के विकास के लिए बुनियादी जरूरते हैं। इस पर सरकार को ख़ास तौर पर ध्यान देना होगा। आज सरकार रेल में इंटरनेट सुविधा, अत्याधुनिक रेलवे प्लेटफॉर्म की दिशा में पहल कर रही है जो एक सकारात्मक कदम है पर रेलवे सुरक्षा पहली प्राथमिकता हो यह तय करना होगा।
2017 के बजट में रेलवे में कई सुधारों पर सरकार ने पहल की है। इनमें 1 लाख करोड़ की रेल सुरक्षा निधि का गठन, 2020 तक मानव रहित रेलवे फाटकों को पूर्ण रूप से हटाना शामिल हैं। रेलवे में आधारभूत संरचना के विकास को लेकर काफी कुछ किया जाना बाकी है, ऐसे में अत्यधिक पूंजी की आवश्यकता होगी। इसे देखते हुए सरकार पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप पर जो विचार कर रही है, उसका स्वागत किया जाना चाहिए। लेकिन इसके विभिन्न पहलुओं पर सरकार को एक राजनीकि रूप से आम राय भी बनानी होगी ताकि उभर रहे विभिन्न मतभेद भी योजनाओ के लागू होने में बाधक ना बने। रेल हादसों के रोकने के लिए सरकार को चाहिए कि वह एक रणनीति तैयार करे और नई और लंबित योजनाओं को तय समय सीमा के भीतर लागू करे।